थावे धाम : पूजा स्थली से महोत्सव तक का सफर

साधना, आराधना और पर्यटन की कालजयी बना महोत्सव फोटो न.6संवाददाता.गोपालगंजथावे और जिला की ख्याति सिद्धपीठ मां सिंहासिनी की स्थली के रूप में विख्यात रहा है. मां की उत्पत्ति और रहषु की भक्ति ढ़ाई हजार वर्ष पुरानी है. मां के आगमन के साथ ही यहां पूजा-अर्चना और भक्ति का कारवां जो प्रारंभ हुआ, वह आज तक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2015 10:03 AM

साधना, आराधना और पर्यटन की कालजयी बना महोत्सव फोटो न.6संवाददाता.गोपालगंजथावे और जिला की ख्याति सिद्धपीठ मां सिंहासिनी की स्थली के रूप में विख्यात रहा है. मां की उत्पत्ति और रहषु की भक्ति ढ़ाई हजार वर्ष पुरानी है. मां के आगमन के साथ ही यहां पूजा-अर्चना और भक्ति का कारवां जो प्रारंभ हुआ, वह आज तक जारी है. धीरे-धीरे भक्तों का कारवां बढ़ते-बढ़ते आज लाखों तक पहुंच गया है. वर्तमान में यहां कई प्रदेशों के भक्त मां के दरबार में आराधना करने आते हैं. मां की प्रसिद्धी और पर्यटकों की बढ़ती भीड़ को देख वर्ष 2012 में कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार द्वारा एक नयी विधा शुरू की गयी. पहले साल यहां भोजपुरी गायक व अभिनेता मनोज तिवारी ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा, तो दूसरे वर्ष अनुराधा पौडवाल और मालनी अवस्थी ने महोत्सव को ऊंचाइयों तक पहुंचाया. तीसरे वर्ष कविता पौडवाल ने महोत्सव में समा बांधा. वहीं, मंत्री और अधिकारी भी महोत्सव के कद को ऊंचा करने में लगे रहे. अनूप जलोटा जैसे विश्व विख्यात भजन गायक भवानी की गोद में थावे महोत्सव के चौथी वर्षगांठ पर अपनी सुमधुर आवाज का जलवा दिखायेंगे.

Next Article

Exit mobile version