घरों में रुक गये मांगलिक कार्य

नहीं हुआ गन्‍नों का भुगतान, प्रकृति ने बनाया कंगाल गोपालगंज : एक तरफ किसानों को गóो का भुगतान नहीं हुआ है, वहीं दूसरी तरफ उन्हें कुदरत की मार सहनी पड़ रही है. ऐसे में किसान अपनी फसल को देख कर हताश हैं. लगातार कर्ज में डूबते जा रहे हैं. उनके सपने पर पानी फिर गया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 12, 2015 8:04 AM
नहीं हुआ गन्‍नों का भुगतान, प्रकृति ने बनाया कंगाल
गोपालगंज : एक तरफ किसानों को गóो का भुगतान नहीं हुआ है, वहीं दूसरी तरफ उन्हें कुदरत की मार सहनी पड़ रही है. ऐसे में किसान अपनी फसल को देख कर हताश हैं. लगातार कर्ज में डूबते जा रहे हैं. उनके सपने पर पानी फिर गया है. उनके घरों में होनेवाले मांगलिक कार्य रुक गये हैं. परिवार को खाने के लाले पड़े हैं.
पिछले साल का बचा अनाज भी खत्म हो गया है. खेतों में लगी फसल बरबाद होने के बाद वे पूरी रह से टूट गये हैं. अब किसान कैसेअपने परिवार का पालन-पोषण करेंगे, यह यक्ष प्रश्न उनके सामने खड़ा है. प्रकृति की मार के बाद जिला प्रशासन ने भी किसानों से मुंह मोड़ लिया है. इससे किसान बरबादी के कगार पर पहुंच गये हैं.
बेमौसम बारिश से गेहूं के अलावा सरसों, मटर व आलू की फसल को नुकसान हुआ है. कटेया, कुचायकोट, पंचदेवरी, भोरे, विजयीपुर, फुलवरिया, बैकुंठपुर, सिधवलिया, बरौली प्रखंडों में बारिश व ओलावृष्टि से कई जगह गेहूं की फसल खेतों में बिछी पड़ी होने के चलते काली पड़ गयी है. थावे के वृंदावन के आशुतोष दुबे ने बताया कि उनके गेहूं की फसल काली पड़ गयी है. बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से ज्यादातर गेहूं खेत में बिछने से काले पड़ने के साथ ही बरबाद होने लगे हैं. अब जो फसल बची है, उसे किसान समेटने में लगे हैं. कटेया के श्याम नारायण सिंह ने बताया कि सबसे अधिक नुकसान मटर व सरसों व आलू की फसलों में हुआ है. बताया कि खुद 15 बीघे में मटर की बोआई की थी, जो बारिश से चौपट हो गयी. प्रदीप त्रिपाठी ने बताया कि गेहूं में लगभग 20 प्रतिशत, तो मटर व सरसों में 60-70 प्रतिशत का नुकसान हुआ है.
वैज्ञानिकों की टीम ने की जांच
गेहूं की बालियों के काला पड़ जाने तथा उनमें दाना नहीं आने का मामला प्रकाश में आते ही कृषि वैज्ञानिकों ने इसे गंभीरता से लिया. कृषि विज्ञान केंद्र, सिपाया के डॉ राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने विभिन्न प्रखंडों में स्थिति की जांच करने के बाद कहा है कि गेहूं ‘परागण’ की अवस्था में जब आया, तो वर्षा के कारण ‘पराग’ झड़ गया. पराग के झड़ने से ‘परागण’ क्रिया नहीं हो पायी. इसके कारण गेहूं में दाने नहीं लगे.
क्या कहते हैं अधिकारी
गेहूं में कहीं 10 से 20 प्रतिशत, तो कहीं 30 प्रतिशत तक का नुकसान है. मगर, क्षेत्र में किसी भी किसान की फसल में 50 फीसदी का नुकसान न देखने को मिला और न ही किसी ने ऐसे किसान का नाम बताया.
डॉ रविंद्र सिंह, डीएओ

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