नियम फेल, पूरे शहर में छतों पर लगे मोबाइल कंपनियों के टावर भूकंप या आंधी-पानी आने पर मुश्किल में पड़ जाती है आबादी फोटो न. 3गोपालगंज . शहर के सिनेमा रोड में तीन मंजिली बिल्डिंग पर दूरसंचार कंपनी का टावर. रविवार की रात भूकंप के बाद मंगलवार को तेज आंधी आयी तो बिल्डिंग दरक गयी. दहशतजदा आसपास के लोग घरों से निकल खुले स्थान की ओर भागने लगे, होश आया तो नजरें टावर पर टिक गयीं. यह नजारा महज सिनेमा रोड़ का नहीं बल्कि पूरे शहर में दिखाई पड़ा. छतों पर खड़े दो दर्जन से ज्यादा टावरों को लगाने में नियमों से खिलवाड़ किया गया है. नियम है कि पिलर वाले मजबूत मकान पर ही टावर लगाये जाय. घनी आबादी में टावर लगाने से परहेज करें, यदि आपात स्थिति में टावर लगते ही है तो वह छोटे आकार में लगे. इन नियमों का शहर में खुला उल्लंघन हो रहा है. किराये के चक्कर में शहर पर यह टावर मौत बन कर खड़े है. आधा दर्जन कंपनियों ने निजी घरों में पांच से सात हजार रुपये के किराये पर इन टावरों को लगा रखा है. बीएसएनएल तो काफी हद तक मान को पूरे किये है. लेकिन, प्राइवेट कंपनियों का खुला खेल चल रहा है. दस गुणा दस मीटर जगह पर लगाने वाले टावर बहुत कम जगह में लगे है. यदि शहर में भूकंप अधिक तीव्रता से आया तो बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता. टावर लगाने के मानक – तीन से पांच मीटर सेक्सन में नट बोल्ट पर टायर फिट हो – जीआई पोल की लंबाई छह मीटर के आसपास होनी चाहिए – टेक्निकल टीम की सर्वे रिपोर्ट आधार पर टावर लगाये जाय- जहां पर नेटवर्क लो हो, ऐसे स्थान को ही प्रमुखता दी जाय – जिस मकान पर टावर लगाये जाय, वहां के पिलर मोटे हो
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तनकर खड़े टावर, खौफ में जिंदगी
नियम फेल, पूरे शहर में छतों पर लगे मोबाइल कंपनियों के टावर भूकंप या आंधी-पानी आने पर मुश्किल में पड़ जाती है आबादी फोटो न. 3गोपालगंज . शहर के सिनेमा रोड में तीन मंजिली बिल्डिंग पर दूरसंचार कंपनी का टावर. रविवार की रात भूकंप के बाद मंगलवार को तेज आंधी आयी तो बिल्डिंग दरक गयी. […]
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