पानी नहीं, जहर पी रहे हैं हम !

गोपालगंज : जिले में लोग मिनरल वाटर के नाम पर जहर पी रहे हैं! घरों, दुकानों और प्रतिष्ठानों में इसकी सप्लाइ हो रही है. मिनरल वाटर की बोतल व जार में भी व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी है. हम जिसे मिनरल वाटर समझ कर पीते हैं, वह पेट में जहर बन कर जा रहा है. शहर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2015 11:31 PM
गोपालगंज : जिले में लोग मिनरल वाटर के नाम पर जहर पी रहे हैं! घरों, दुकानों और प्रतिष्ठानों में इसकी सप्लाइ हो रही है. मिनरल वाटर की बोतल व जार में भी व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी है. हम जिसे मिनरल वाटर समझ कर पीते हैं, वह पेट में जहर बन कर जा रहा है.
शहर में एक दर्जन प्लांट बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे हैं. इनकी कभी जांच नहीं होती है. अधिकारियों को भी इतनी फुरसत नहीं रहती कि पानी की जांच कर सके. मिनरल वाटर में टीडीएस अधिक है. क्लोरीन की गोली डाल कर उसका स्वाद बदल दिया जा रहा है. ऐसा इसलिए कि बोतल और जार में बंद पानी मानक के 51 टेस्ट पास नहीं होता. इस तरह का पानी बेचनेवाले ज्यादातर अवैध कारोबार कर रहे हैं.
जिले के अधिकतर प्लांट को न तो लाइसेंस है और न ही वे कहीं रजिस्टर्ड हैं. वैसे खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन से लाइसेंस लिये बिना प्लांट लगाना अवैध है. खाद सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन से पानी की जांच होने के बाद भी प्लांट का लाइसेंस जारी होता है. जिले में 18 से ज्यादा कारोबारी गली-मुहल्लों में पानी भरी बोतल व जार बेच रहे हैं. न उनके पास लाइसेंस है और न ही टेस्टेड पानी. इनका कारोबार प्रतिमाह करोड़ों में पहुंच गया है.
टेस्टेड पानी कहलाता है मिनरल वाटर
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के पैकिंग एंड लेबलिंग रिक्वायरमेंट विनियम 2011 के तहत 51 मानक को पूरा करना होता है. इसमें पानी का कलर, ऑर्डर, टोटल टीडीएस, पीएस, नाइट्रेट, नाइट्राइट, सल्फाइट, फिनॉलिक कंपाउंड, मैगनीज, जिंक, कैडमियम, अल्फा एक्टीविटी, बीटा एक्टीविटी आदि टेस्ट कराना पड़ता है. इन टेस्टों में पास होने पर ही पानी मिनरल वाटर कहा जाता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जो लोग अवैध रूप से मिनरल वाटर बेच रहे हैं, इसकी जानकारी विभाग को नहीं है. अगर ऐसा मामला है, तो जांच कर कार्रवाई की जायेगी.
कृष्ण मोहन, डीएम

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