लक्ष्मी बनी बत्तखों की हमजोलीप्रतिवर्ष होती है दो लाख की आयसंडे स्पेशलफोटो नं-17संवाददाता, बरौलीअहले सुबह बत्तख के चूजों को लेकर भागड़ जलाशय पहुंच कर लक्ष्मी अपना तंबू गाड़ देती है. शाम होते ही घर को वापस आ जाती है. चूजों के बीच सोना और इन्हीं के बीच दिन रूटीन बन गयी है. एक आवाज पर ये पीछे-पीछे चल देते हंै. गांव में इन्हें बत्तखों की हमजोली कहा जाता है. दो वर्षों से लक्ष्मी का हर पल बत्तखों के बीच गुजर रहा है. बरौली प्रखंड के सिकटिया गांव के मजदूर सुरेश प्रसाद की पत्नी ने न सिर्फ एक मिसाल कायम की है, बल्कि प्रतिवर्ष दो लाख रुपये से अधिक की आय भी कर लेती है. पूछने पर बताया कि वह अनपढ़ है. बेटे को पढ़ाने एवं बिटिया की शादी धूमधाम से करने के लिए एकाएक उसके दिमाग में बत्तख पालन की बात आयी और इसे शुरू कर दिया.बेटा को इंजीनियर बनाने का सपना बेटे को कोटा भेज कर लक्ष्मी इंजीनियरिंग की तैयारी करा रही है. उसका सपना बिटिया की अच्छे घर में शादी करना है. आज बत्तखों की संख्या दो हजार पर पहुंच गयी है. उसने वर्ष 2013 में 201 रुपये खर्च कर आठ बत्तखों से इसकी शुरुआत की. उसने विगत वर्ष दो लाख रुपये जमा किये. अब उसे तालाब की कमी खल रही है. व्यवसाय को आगे बढ़ाने में तालाब बाधक बना हुआ है. सुबह में बत्तखों को गांव के ही तालाब में ले जाती है. शाम को थोड़ी-सी आवाज देती है, तो सभी बाहर आ जाते हैं और पीछे – पीछे घर आ जाते हैं. वह बताती है कि इस वर्ष 4.5 लाख रुपये होने की उम्मीद है.
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बत्तख पालने से संवार रही बच्चों की जिंदगी
लक्ष्मी बनी बत्तखों की हमजोलीप्रतिवर्ष होती है दो लाख की आयसंडे स्पेशलफोटो नं-17संवाददाता, बरौलीअहले सुबह बत्तख के चूजों को लेकर भागड़ जलाशय पहुंच कर लक्ष्मी अपना तंबू गाड़ देती है. शाम होते ही घर को वापस आ जाती है. चूजों के बीच सोना और इन्हीं के बीच दिन रूटीन बन गयी है. एक आवाज पर […]
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