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बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर आयोजित हुए कार्यक्रम

नारायणी नदी में लोगों ने किया स्नान और दानथियोसॉफिकल लॉज में मनी भगवान बुद्ध की जयंतीसंवाददाता. गोपालगंज वैशाख पूर्णिमा बौद्धों के लिए महापर्व के रूप में मना. वहीं सनातन धर्म के लोगों ने नारायणी नदी में स्नान और दान किया. शहर के थियोसॉफिकल लॉज में भगवान बुद्ध की जयंती धूमधाम से मनायी गयी. समारोह की […]

नारायणी नदी में लोगों ने किया स्नान और दानथियोसॉफिकल लॉज में मनी भगवान बुद्ध की जयंतीसंवाददाता. गोपालगंज वैशाख पूर्णिमा बौद्धों के लिए महापर्व के रूप में मना. वहीं सनातन धर्म के लोगों ने नारायणी नदी में स्नान और दान किया. शहर के थियोसॉफिकल लॉज में भगवान बुद्ध की जयंती धूमधाम से मनायी गयी. समारोह की अध्यक्षता सोसाइटी के अध्यक्ष ब्रज किशोर प्रसाद अधिवक्ता ने की. उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ के रूप में बुद्ध का अवतार सृष्टि की सबसे दुर्लभ घटनाओं में से एक है. बुद्ध का शरीर अतिसंवेदनशील था. किसी निर्दोष प्राणियों पर जब मार पड़ती है, तो अंग कसक उठते है. अंग-भंग की पीड़ा भर उठती है. दूसरों की पीड़ा. अपनी पीड़ा प्रतीत होने लगता था. बुद्ध के दर्शन आज भी प्रासंगिक हैं. 25 अप्रैल को नेपाल में आये भूकंप की त्रासदी से पूरा देर मर्माहत है. हमे गर्व है कि नेपाल के राहत कार्य में हमलोग सबसे अधिक बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. बुद्ध को जानने-समझने के प्रयास के बजाय गहरी अनुभूति में डूब जाना ही सार्थकता है. इस मौके पर सर्व धर्म सारभौम प्रार्थना का आयोजन हुआ. इसमें मुख्य रूप से उर्दू कॉलेज के प्राचार्य जुल्फीकार अली, पत्रकार वरुण मिश्र, उपेंद्र उपाध्याय, प्रो डॉ एके पांडेय, एलोरी नंदी, ब्रजेंद्र किशोर प्रसाद, नीरज कुमार, बैरिस्टर मिश्र, संजय कुमार द्विवेदी, कैलाश बिहारी श्रीवास्तव, राकेश कुमार, विमलेश, मिथिलेश पाठक आदि ने संबोधित किया.

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