बैकुंठपुर. बचपन का बिछड़ा श्रवण कुमार जवान होकर बूढ़े मां-बाप से मिला. वर्ष 2001 में गंडक नदी में उफान आने के आद परिजनों से मांझागढ़ थाने के सुधा साह के टोला निवासी प्रदीप प्रसाद का छह वर्षीय पुत्र श्रवण बिछड़ गया था. दो सितंबर, 2001 को भटकते-भटकते बनारस चला गया. परिवार के लोग तब से खोजबीन करते हुए थक हार कर मिलने की उम्मीद खो बैठे थे. बनारस स्थित एक अनाथालय में कुछ दिन रहा. 12 वर्ष की उम्र में बेंगलुरु की एक सर्कस कंपनी में काम मांगने गया. वहीं, बैकुंठपुर के हकाम गांव निवासी सर्कस कलाकार जुलबान मिया से भेंट हो गयी. वही अपने बेटे की तरह उसे रखा. अपनी बेटी की शादी में जुलबान मियां श्रवण को भी घर लाया. इसी गांव में श्रवण की मौसेरी बहन की शादी हुई. बातचीत के क्रम में पहचान हुई. घरवालों को 14 वर्ष बाद अपने बिछड़ लाल को पाकर आंखें नम हो गयीं. माता लागमनी देवी व पिता प्रदीप प्रसाद को खुशी का ठिकाना न रहा.
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14 वर्ष बाद मां-बाप से मिला श्रवण
बैकुंठपुर. बचपन का बिछड़ा श्रवण कुमार जवान होकर बूढ़े मां-बाप से मिला. वर्ष 2001 में गंडक नदी में उफान आने के आद परिजनों से मांझागढ़ थाने के सुधा साह के टोला निवासी प्रदीप प्रसाद का छह वर्षीय पुत्र श्रवण बिछड़ गया था. दो सितंबर, 2001 को भटकते-भटकते बनारस चला गया. परिवार के लोग तब से […]
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