माता-पिता की सेवा ही धर्म है : द्विवेदी शास्त्री

सिपाया में श्रीमद्भागवत कथा में जुटी श्रद्धालुओं की भीड़ कथा स्थल पर रात भर अमृत भाषा में गोता लगाते रहे श्रोता फोटो न. 12 , फोटो न. 13 संवाददाता. सासामुसा माता-पिता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है. मनुष्य को पहले अपने माता -पिता की सेवा करनी चाहिए. सेवा करने से ही पापों से मुक्ति मिलती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 16, 2015 5:03 PM

सिपाया में श्रीमद्भागवत कथा में जुटी श्रद्धालुओं की भीड़ कथा स्थल पर रात भर अमृत भाषा में गोता लगाते रहे श्रोता फोटो न. 12 , फोटो न. 13 संवाददाता. सासामुसा माता-पिता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है. मनुष्य को पहले अपने माता -पिता की सेवा करनी चाहिए. सेवा करने से ही पापों से मुक्ति मिलती है. उक्त बातें श्रीमद्भागवत कथा का प्रवचन कर रहे पंडित द्विवेदी शास्त्री जी महाराज ने कहीं. कुचायकोट के सिपाया में द्विवेदी शास्त्री जी महाराज ने कहा कि आज के युग में विश्वास पात्र के लोग नहीं हैं. भाई-भाई से अविश्वास, माता-पिता से द्वेष, पति-पत्नी में द्वेष जैसी बातें समाज को शर्मसार कर रही हंै. जब तक आपस में बैर-वैमनस्य दूर नहीं होगा, तब तक सेवा की भावना मनुष्य में नहीं होगी. उन्होंने कहा कि आज लोग सभी धर्मों को भूल रहे हैं. मांस-मछली, मदिरा का सेवन मनुष्य को अपनाने की चीज नहीं है. उन्होंने कहा कि जीव भी शिव का अंश है. उसे मनुष्य को रक्षा करनी चाहिए. जीव को कत्ल करने से मनुष्य पापों के साये से घिर जाता है. 10 मई से शुरू हुए श्रीमद्भागवत कथा की पूर्णाहुति 18 मई को होगी.

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