फोटो न. 7गोपालगंज. माह-ए-रमजान बरकत के साथ खुशियां भी लेकर आता है. गरीबों व यतीमों को खुशी में शामिल करना हर रोजेदार का फर्ज है. रोजा एक छुपी हुई इबादत है. इसलिए अल्लाह ने इरशाद फरमाया कि रोजा मेरे लिए है और मैं ही इसका बदला दूंगा. रोजा रखना इबादत है क्योंकि इससे नेकी बढ़ती है. रमजान में अल्लाह अपने बंदों के सभी गुनाह माफ कर देता है. रोजेदारों की हर दुआ कुबूल होती है. अल्लाह के हुक्म से हर रात एक फरिश्ता एलान करता है- है कोई ऐसा शख्स जो गुनाहों से बाज आकर अल्लाह की तरफ रुख करे. कोई मजलूम मदद चाहे, उसकी मदद की जायेगी.
रमजान में कुबूल होती है हर दुआ
फोटो न. 7गोपालगंज. माह-ए-रमजान बरकत के साथ खुशियां भी लेकर आता है. गरीबों व यतीमों को खुशी में शामिल करना हर रोजेदार का फर्ज है. रोजा एक छुपी हुई इबादत है. इसलिए अल्लाह ने इरशाद फरमाया कि रोजा मेरे लिए है और मैं ही इसका बदला दूंगा. रोजा रखना इबादत है क्योंकि इससे नेकी बढ़ती […]
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