रमजान में रोजेदारों की कुबूल होती है दुआ

गोपालगंज : माह-ए-रमजान बरकत के साथ खुशियां भी लेकर आता है. गरीबों व यतीमों को खुशी में शामिल करना हर रोजेदार का फर्ज है. रोजा एक छुपी हुई इबादत है. इसलिए अल्लाह ने इरशाद फरमाया कि रोजा मेरे लिए है और मैं ही इसका बदला दूंगा. रोजा रखना इबादत है क्योंकि इससे नेकी बढ़ती है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2015 8:05 AM
गोपालगंज : माह-ए-रमजान बरकत के साथ खुशियां भी लेकर आता है. गरीबों व यतीमों को खुशी में शामिल करना हर रोजेदार का फर्ज है. रोजा एक छुपी हुई इबादत है. इसलिए अल्लाह ने इरशाद फरमाया कि रोजा मेरे लिए है और मैं ही इसका बदला दूंगा. रोजा रखना इबादत है क्योंकि इससे नेकी बढ़ती है.
रमजान में अल्लाह अपने बंदों के सभी गुनाह माफ कर देता है. रोजेदारों की हर दुआ कुबूल होती है. अल्लाह के हुक्म से हर रात एक फरिश्ता एलान करता है- है कोई ऐसा शख्स जो गुनाहों से बाज आकर अल्लाह की तरफ रुख करे. कोई मजलूम मदद चाहे, उसकी मदद की जायेगी.
सादिया व सिद्दीकी कर रहीं कुरान की तिलावत
गोपालगंज : माहे रमजान के इस मुबारक महीने में बड़ों के साथ छोटे-छोटे बच्चे भी रोजा रख खुदा की इबादत में जुट गये हैं. शहर के जंगलिया निवासी छह साल की सादिया और सिद्दीकी रोजे के साथ कुरान की तिलावत भी कर रही है. नसीम अहमद की पुत्री सादिया और फरहान अहमद की पुत्री सिद्दीकी पांचों वक्त की नमाज भी अदा करती है. अपने परिजनों के साथ सुबह में सहरी करती
है. शाम को साथ में इफ्तार पार्टी में शामिल होती है. नन्हे रोजेदारों को देख आसपास के बड़े लोग भी रोजा नियमित रखने लगे हैं.

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