सब्जी बेच कर बेटे को बनाया आइआइटीयन

बैकुंठपुर : सब्जी बेच कर बच्चों को मुकाम दिलाना उद्देश्य है. एक बेटे को आइआइटीयन बनाने के बाद अब अन्य बच्चों को भी अधिकारी बनाने की जद्दोजहद जारी है. काफी मेहनत और बुलंद हौसले की बदौलत यह मुकाम खोरमपुर के रहनेवाले ओमप्रकाश साह ने हासिल किया है. बेटा आज अमेरिकन कंपनी सिट्रिक्श में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 30, 2015 7:57 AM
बैकुंठपुर : सब्जी बेच कर बच्चों को मुकाम दिलाना उद्देश्य है. एक बेटे को आइआइटीयन बनाने के बाद अब अन्य बच्चों को भी अधिकारी बनाने की जद्दोजहद जारी है. काफी मेहनत और बुलंद हौसले की बदौलत यह मुकाम खोरमपुर के रहनेवाले ओमप्रकाश साह ने हासिल किया है.
बेटा आज अमेरिकन कंपनी सिट्रिक्श में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजीनियर इंचार्ज के पद पर बेंगलुरु में कार्यरत है. बेटे को यह मुकाम दिलाने का श्रेय सब्जी के कारोबार को है.
ओमप्रकाश साह आज भी बाजार में सब्जी बेचने का काम करते हैं. गरीबी को मात देकर बेटे की मेहनत ने सपनों में चार चांद लगा दिया. बता दें कि बैकुंठपुर प्रखंड के खोरमपुर गांव के ओमप्रकाश साह अनपढ़ हैं. आज तक हस्ताक्षर करना भी नहीं सिख पाये. इस बात का मलाल उन्हें आज भी है. लेकिन, अपने बच्चों को अनपढ़ नहीं अधिकारी बनाने की जिद लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. सुबह पांच बजे से सब्जी मंगा कर बेचने का काम करते हैं. देर रात तक सब्जी की दुकान पर बैठते हैं.
कर्ज लेकर बेटे को पढ़ाया
बेटा सुदिश ने वर्ष 2002 में सरकारी स्कूल में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद राजेंद्र कॉलेज, छपरा से 2004 में इंटर पास किया. इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद पटना में एक साल तक रह कर तैयारी की.
2005 में पहली बार आइआइटी के लिए हुई परीक्षा में बैठा. बेहतर रैंक लेकर आइआइटी गुवाहाटी में नामांकन करा लिया. आइआइटी पूरा करने के बाद नेट क्वालिफाइ कर एम टेक बीएचयू वाराणसी से किया. एम टेक का रिजल्ट आते ही सिट्रिक्श ने चयन कर लिया. सुदिश आज 96 हजार रुपये प्रतिमाह के पैकेज पर कार्यरत है.
भाई की राह पर चल पड़े छोटे
ओमप्रकाश के बड़े बेटे ने जैसे ही मुकाम हासिल किया कि छोटे भी उसी राह पर चल पड़े. बहन किरण भी अधिकारी बनने का सपना लिये दिन-रात पढ़ाई में लग गयी है. किरण वर्ष 2014 में मैट्रिक की परीक्षा में स्कूल टॉपर रही है.
इतना ही नहीं, उसका छोटा भाई अभिषेक का रिजल्ट भी शानदार रहा. वह मैट्रिक में फस्र्ट डिवीजन पास हुआ है. छोटी बहन आरती भी दिनरात पढ़ाई में लगी है.
भाई का अनुकरण कर अभिषेक को आइएएस बनने का सपना है, जबकि बहनों को प्रशासनिक अधिकारी. बेटे के अमेरिकन कंपनी में अधिकारी बनने के बाद ओमप्रकाश साह का कुनबा बदल गया है. ओमप्रकाश को विरासत में झोंपड़ी मिली थी रहने के लिए. बेटे ने शानदार आवास बना दिया. बेटे की जिद के बाद भी ओमप्रकाश सब्जी बेचना नहीं छोड़ा. ओमप्रकाश का सपना है कि जब तक सभी बच्चे मुकाम हासिल नहीं करते तब तक सब्जी बेचता रहूंगा.

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