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चाहते हैं साइंस, पढ़ना पड़ेगा आर्ट्स

10वीं में कम अंक ने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा छात्रों को गोपालगंज : पहली से लेकर 10वीं कक्षा तक पूरे 10 साल बच्च जिस स्कूल में पढ़ाई करे, उसी स्कूल की 11वीं कक्षा में दाखिला देने से उसे इनकार कर दिया जाये, तो खुद उस विद्यार्थी के साथ-साथ उसके अभिभावकों की क्या मनोस्थिति होगी, इसका […]

10वीं में कम अंक ने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा छात्रों को
गोपालगंज : पहली से लेकर 10वीं कक्षा तक पूरे 10 साल बच्च जिस स्कूल में पढ़ाई करे, उसी स्कूल की 11वीं कक्षा में दाखिला देने से उसे इनकार कर दिया जाये, तो खुद उस विद्यार्थी के साथ-साथ उसके अभिभावकों की क्या मनोस्थिति होगी, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता.
ऊपर से जले पर नमक यह कि 11वीं कक्षा में किसी अन्य स्कूल द्वारा भी बच्चों को नया प्रवेश देने में टालमटोल की जाती है. जिले भर में हजारों मां-बाप जुलाई के महीने में स्कूल प्राचार्यो के कक्ष के बाहर इसलिए घंटों इंतजार करने पर मजबूर होते हैं कि उनके बच्चे को उन्हीं के स्कूल में मनचाहा विषय नहीं मिल रहा है.
दरअसल, यह स्थिति स्कूलों के बीच बोर्ड परीक्षार्थियों में श्रेष्ठ परिणाम दिखाने की होड़ का नतीजा है, जिसकी वजह से स्कूल प्रशासन द्वारा साइंस और कॉमर्स में सिर्फ उन्हीं बच्चों को प्रवेश दिया जाता है, जिन्होंने 70 से 80 व उससे अधिक अंक प्राप्त किये हों. नियमों में ऐसा कहीं उल्लेख नहीं है कि किसी विषय में न्यूनतम निर्धारित अंक लाने पर ही प्रवेश दिया जाये, भले ही वह बच्च उसी स्कूल का छात्र हो.
जिले भर के हजारों विद्यार्थी 11वीं कक्षा में आने के बाद इसलिए स्कूल से बेदखल हो जाते हैं, क्योंकि किसी अन्य स्कूल का बच्च सिर्फ इस आधार पर अगली कक्षा में उनकी सीट पर काबिज हो जाता कि उसने उस विषय में उनसे अधिक अंक प्राप्त किये हैं.

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