उधर, प्रभार लेने के लिए संजय कुमार स्थापना के कार्यालय में आकर बैठ गये. प्रभार को लेकर अब गहमागहमी का माहौल बन गया है. पिछले छह माह से डीइओ अशोक कुमार तथा डीपीओ राजकिशोर सिंह के बीच तनातनी की स्थिति बनी हुई थी. इस बीच डीपीओ को प्रभार मुक्त किये जाने से शिक्षकों के वेतन निर्धारण को लेकर उनमें ऊहापोह की स्थिति बन गयी है.
आखिर अब कैसे समय पर वेतन निर्धारण का काम पूरा हो पायेगा. इतना ही नहीं नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच कर रही निगरानी की टीम के लिए नोडल पदाधिकारी राजकिशोर सिंह ही थे. फ्लैश बैकडीइओ से 24 घंटे के भीतर मांगा गया था नियुक्ति पत्रडीपीओ स्थापना राजकिशोर सिंह ने डीइओ अशोक कुमार से 24 घंटे के भीतर उनका नियुक्ति पत्र उपलब्ध कराने को कहा था.
डीपीओ ने कहा था कि कई वर्षों की बकाया राशि 30.65 लाख 237 रुपये का भुगतान डीइओ को हाल ही में स्थापना के द्वारा किया गया था. बाद में एक आरटीआइ से मांगी गयी सूचना पर पता चला कि क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक तिरहुत ने यह आदेश दिया था कि भुगतान के पूर्व नियुक्ति पत्र की मांग कर ली जाये. नियुक्ति पत्र उपलब्ध नहीं कराने पर इनकी नियुक्ति को अवैध माना जायेगा. वेतन मद में की गयी भुगतान की राशि इनकी चल-अचल संपत्ति से वसूल की जायेगी. डीपीओ ने नियुक्ति पत्र उपलब्ध नहीं कराने पर वेतन पर भी रोक लगा रखी है.