गरीबी, बेरोजगारी, इमरजेंसी, घोटाला है महागंठबंधन की उपलब्धि : नंदकिशोर

गरीबी, बेरोजगारी, इमरजेंसी, घोटाला है महागंठबंधन की उपलब्धि : नंदकिशोर संवाददाता, पटनाविधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि राजद–जदयू–कांग्रेस जैसे दल जब अपनी ही करतूतों पर कोई सफाई नहीं दे पा रहे हैं, तो अपने अवसरवादी गंठबंधन पर क्या बोलेंगे. कांग्रेस अध्यक्ष के भाषण का हवाला देते हुए यादव ने कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2015 8:27 PM

गरीबी, बेरोजगारी, इमरजेंसी, घोटाला है महागंठबंधन की उपलब्धि : नंदकिशोर संवाददाता, पटनाविधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि राजद–जदयू–कांग्रेस जैसे दल जब अपनी ही करतूतों पर कोई सफाई नहीं दे पा रहे हैं, तो अपने अवसरवादी गंठबंधन पर क्या बोलेंगे. कांग्रेस अध्यक्ष के भाषण का हवाला देते हुए यादव ने कहा कि वो 60 साल की अपनी सरकार की उपलब्धि तक तो बता नहीं पा रही हैं और 16 महीने की नरेंद्र मोदी की सरकार पर महंगाई और बेरोजगारी का आरोप लगा रही है. सामाजिक–आर्थिक जनगणना रिपोर्ट में देश भर के गरीबों का राज्यवार और क्षेत्रवार ब्योरा आ चुका है, कांग्रेस और उसके गंठबंधन के साथी इसे अच्छी तरह देख लें, खुद पता चल जायेगा कि 60 साल में इनकी उपलब्धि क्या रही है. किसानों को खेतिहर मजदूर बना दिया, किसानों की जमीन अधिग्रहण कर–करके भूमिहीन बना दिया, गरीबी दूर करने का नारा देते–देते गरीबी बढ़ा दी, बिहार में एक भी उद्योग–धंधे नहीं लगाकर बेरोजगारी बढ़ा दी. सच्चाई ये है कि गरीबी, बेरोजगारी, इमरजेंसी और घोटाले कांग्रेस की 60 साल की उपलब्धि हैं. बिहार में भी कांग्रेस–राजद–जदयू गठबंधन की 60 साल की उपलब्धि यही है. भ्रष्टाचार और घोटालों से देश की अर्थव्यवस्था की बुनियाद खोखली करने वाली कांग्रेस और उसके सहयोगी किस मुंह से भाजपा पर महंगाई और बेरोजगारी का आरोप लगा रहे हैं. 60 साल तक शासन किया और अपने कुशासन का जिम्मा 16 महीने की हमारी सरकार पर थोपने चले हैं. कम पैदावार और जमाखोरी के चलते दाल की कीमत बढ़ गयी तो मुद्दा बनाये फिर रहे हैं और चावल, गेहूं, चीनी, पेट्रोल–डीजल–रसोई गैस के दाम घटे तो नहीं दिखता. उस पर नहीं बोलते जहां तक दाल का सवाल है, उसके दाम नियंत्रित करने की भी कोशिशें हो रही हैं. गठबंधन में एक पार्टी के अध्यक्ष कहते हैं कि दूसरे को जहर पीकर नेता माना और तीसरे के साथ मंच साझा नहीं कर सकते. दूसरे कहते हैं कि भाजपा को रोकने के लिए जनादेश के खिलाफ जाकर गंठबंधन कर लिया और तीसरी पार्टी की अध्यक्ष कहती हैं कि भाजपा का गंठबंधन अवसरवादी है. कौन है अवसरवादी ये भी कोई कहने की जरूरत है. अवसरवादी राजनीति के कौन मास्टरमाइंड हैं, ये बिहार में कौन नहीं जानता. बिहार की जनता इस बार इन तीनों पार्टियों का सूपड़ा साफ कर देगी, सारा दुष्प्रचार और झूठ धरा रह जायेगा.

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