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घोटालों–कुशासन के पुराने दिन चाहते हैं नीतीश: नंदकिशोर पटना. विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार इतने हताश हो चुके हैं कि वो कुशासन और भ्रष्टाचार–घोटालों के पुराने दिन वापस लाने की बात करने लगे हैं. आखिर वो कौन से पुराने दिन वापस लौटाने की बात कर रहे हैं. […]

घोटालों–कुशासन के पुराने दिन चाहते हैं नीतीश: नंदकिशोर पटना. विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार इतने हताश हो चुके हैं कि वो कुशासन और भ्रष्टाचार–घोटालों के पुराने दिन वापस लाने की बात करने लगे हैं. आखिर वो कौन से पुराने दिन वापस लौटाने की बात कर रहे हैं. क्या वो 15 साल के कुशासन के दिनों को वापस लाने की बात कर रहे हैं जिसके खिलाफ बयान दे–देकर चुनाव लड़ा करते थे या फिर कांग्रेस सरकार के 10 साल के घोटालों–भ्रष्टाचार के दिन वापस चाहते हैं. बिहार की ठप योजनाओं के लिए यूपीए सरकार से पैसे नहीं मिलते थे, क्या वे उन दिनों को वापस लाना चाहते हैं.यह तो नकारात्मक राजनीति की हद है कि पूरा देश जब बुरे दिनों को पीछे छोड़कर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है तो वे सिर्फ विरोध की राजनीति में पुराने दिन लौटाने की मांग कर रहे हैं. यादव ने पूछा कि राजद प्रमुख–सीएम और कांग्रेस अध्यक्ष को अच्छे दिन से चिढ़ क्यों है. ऐसी सोच क्यों है कि खुद विकास करने में नाकाम रहे तो दूसरा भी विकास न कर सके. बिहार को 1.25 लाख करोड़ का विशेष पैकेज मिला, जो किसी भी राज्य को कभी नहीं मिला था, तो क्या ये अच्छे दिन नहीं हैं. बिहार में उच्चस्तरीय शिक्षण संस्थानों की स्थापना की जा रही है तो क्या इससे बिहार के युवाओं को फायदा नहीं होगा. उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बिहार में सड़कों, बिजली और कर छूट की योजनाओं पर केंद्र सरकार अमल कर रही है तो क्या बिहार में रोजगार के अवसर नहीं बढ़ेंगे . गरीब परिवारों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन मिल रहे हैं तो क्या ये उन परिवारों के अच्छे दिन नहीं हैं. अगर एक रुपये महीना प्रीमियम पर दो लाख रुपये का बीमा हो रहा है तो क्या ये अच्छे दिन नहीं हैं. अगर हर गरीब का बैंक खाता है तो क्या ये बुरे दिन हैं. आखिर ये क्या राजनीति है, ये क्या सोच है? क्या इस गंठबंधन को सोते–जागते सिर्फ कुर्सी की फिक्र है, बिहार की जनता इनके लिए सिर्फ वोट बैंक है. इस गठबंधन में शामिल दलों का मकसद विकास कभी रहा ही नहीं. बिहार में 60 साल से सरकार चला रहे ये तीनों दल बताएं कि जब संसाधनों की कोई कमी नहीं है, मानवश्रम की कमी नहीं है, प्रतिभा की कमी नहीं है तो फिर क्यों तरक्की नहीं हो सकी? कौन है इसका जिम्मेदार ? बिहार की जनता सब समझ रही है, इन तीनों के चेहरे पहचान चुकी है, इनकी अवसरवादी राजनीति को जान चुकी है और इसीलिए इन दलों के पसीने छूट रहे हैं.

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