जाति पर जोर, विकास कमजोर
जाति पर जोर, विकास कमजोर गोपालगंज.चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोकी जा रही है. जिले के लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में एक-सा नजारा दिख रहा है. जाति आधारित प्रचार का बोलबाला है. जाति के हिसाब से बंटे मोहल्लों और टोलों में उसी के हिसाब से प्रचार का दौर चल रहा है. शहर हो या गांव, […]
जाति पर जोर, विकास कमजोर गोपालगंज.चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोकी जा रही है. जिले के लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में एक-सा नजारा दिख रहा है. जाति आधारित प्रचार का बोलबाला है. जाति के हिसाब से बंटे मोहल्लों और टोलों में उसी के हिसाब से प्रचार का दौर चल रहा है. शहर हो या गांव, कमोबेश हर जगह खास वर्ग पर ही निशाना साधा जा रहा है. दिन के उजाले में सार्वजनिक रूप से आम – आवाम से मिलनेवाले कई प्रयाशी देर रात अपनी जाति- बिरादरी के मठाधीश कहे जाने वालों के साथ बैठकों का दौरा जारी रखे हैं. पूरा गणित इसी बात पर की उनकी जाति का वोट साथ रहे. इसके लिए हर राणनीति अपनायी जा रही है. इस बात का भी आकलन किया जा चुका है कि उनकी बिरादरी के कितने प्रत्याशी मैदान में हैं. जहां एक हीं बिरादरी के प्रतयाशी है, वहां टेढ़ी खरी नजर आ रही है. खास बात यह कि अभी तक विकास की बातें सामने नहीं आ रहरी हैं. रुख बदलेगा, तब जब बड़े नेताओं की रैली और सभा का दौर चलेगा. बात जाति से ऊपर उठेगी और बात विकास की होगी. विकास की बात करनेवाले भी इसी पर जोर दे रहे हैं कि विकास की दौड़ में फलां जाति को क्या-क्या मिला है. महागंठबंधन के प्रत्याशी ही आमने-सामने दिख रहे हैं. कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां बागी बन कर खड़े होनेवाले बाह समेटे हैं और उनकी तेज रफ्तार दौड़ दलीय के पसीने छुड़ा रही है. जिले की छह विधानसभा क्षेत्रों में चौथे चरण में एक नवंबर को मतदान होना है. 1773 मतदान केद्रों पर कुल निर्वाचकों की संख्या-1727718, जिसमें पुरुष-1899139 और महिला-858535 मतदाता हैं. चुनाव प्रचार की शुरुआत अभी पुरुष मतदाता ही प्रत्याशियों के संपर्क में हैं. डेार-टू-डोर का दौर कम ही नजर आ रहा है. गांव -टोलों में घूमने वाले प्रत्याशी भी किसी एक ही जगह पर लोगों से मिल रहे हैं. इसके लिए बकायदा एक दिन पहले ही वहां से किसी प्रमुख से बात कर स्थान और समय तय भीड़ की जिम्मेवारी दी जाती है. भीड़ इस बात की चुगली करती है कि एक ही जाती है. एकमुश्त वोट का हवाला देकर नाराजगी दूर करने की हर कवायद जारी है. यही हाल शहरी इलाके में भी नजर आ रहा है. प्रत्याशी जाति बाहुल्य इलाके में वहां के प्रमुख लोगों को साथ रख प्रचार कर रहे हैं, जबकि साथ चलनेवालों को दूर ही रखा जा रहा है. खास बात यह कि इलाके में पहचानवाले चेहरों को उस क्षेत्र में दूर जा रहा है. अगल-बगल के गांव के उसी जाति वर्ग के प्रतिष्ठित को लेकर प्रचार किया जा रहा है, जबकि उस गांव के प्रमुख को गांव में ले जाया जा रहा है.