पर्वों की खुशबू ने मुझको बुलाया…

पर्वों की खुशबू ने मुझको बुलाया… सात समंदर पार से छुट्टियां लेकर पर्व मनाने गांव पहुंचने लगे युवापरदेसियों से गांव की बढ़ने लगी रौनक, गुलजार हुआ माहौलपहली बार लोकतंत्र के महापर्व के साथ दशहरा, लोकतंत्र के महापर्व, छठ मनाने की तैयारीअवधेश कुमार राजन, गोपालगंजविदेश में रहनेवाले युवाओं को अपनी मिट्टी की सोंधी महक, लोक परंपरा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2015 6:18 PM

पर्वों की खुशबू ने मुझको बुलाया… सात समंदर पार से छुट्टियां लेकर पर्व मनाने गांव पहुंचने लगे युवापरदेसियों से गांव की बढ़ने लगी रौनक, गुलजार हुआ माहौलपहली बार लोकतंत्र के महापर्व के साथ दशहरा, लोकतंत्र के महापर्व, छठ मनाने की तैयारीअवधेश कुमार राजन, गोपालगंजविदेश में रहनेवाले युवाओं को अपनी मिट्टी की सोंधी महक, लोक परंपरा व लोकतंत्र के महापर्व ने घर आने पर विवश कर दिया है. परदेसियों से गांव की रौनक बढ़ने लगी है. गांव में गुलजार का माहौल है. ऐसा पहली बार हो रहा है कि दशहरा, लोकतंत्र का महापर्व के बाद दीपावली, भैयादूज, छठपर्व एक साथ मनाने का मौका मिला है. इस बार त्योहार के उत्सव के साथ अपने वोट की चोट से बिहार की तकदीर बदलने का खासा उत्साह है. गोपालगंज जिले के 96300 से अधिक युवक दुबई, सऊदी, कतर, दोहा, अरब, मशकट, जापान, बहरीन, अमेरिका, दक्षिण अफ्रिका, नीदरलैंड, डेनमार्क, कुवैत जैसे देशों में अपने परिवार, घर की दशा बदलने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. वहां रह कर भी उन्हें अपने बिहार की चिंता है. बिहार की इस चिंता ने उन्हें घर आने पर विवश कर दिया है. उन्हें इस बात की चिंता है कि अपने घर में काम नहीं मिलने के कारण ही विदेशों में जाकर कर अपने हुनर से उस देश का विकास करना पड़ता है. कई बार तो गलत कंपनी में जाकर युवाओं को यातना का शिकार होना पड़ता है. नयी उम्मीद की चाहत लिये अब तक 6255 युवक घर आ चुके हैं. यह सिलसिला अभी जारी है. सरेया के रहनेवाले मो अब्दुल हमीद पिछले नौ वर्षों से दुबई में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में काम करते हैं. कहते हैं कि 1992 में इंजीनियरिंग करने के बाद जब सरकारी नौकरी नहीं मिली, तो विदेश में किस्मत अजमाना पड़ा. घर परिवार, समाज से दूर, अपनों से दूर रहना एक – एक दिन भारी पड़ता है. इस बार मुहर्रम के बहाने विधानसभा में बिहार की तकदीर लिखने का मौका मिला है. बिना वोट दिये नहीं जानेवाले. फुलवरिया के काजीपुर गांव के रहनेवाले अजय सिंह सऊदी की एक कंपनी में काम करते हैं. कंपनी से एक माह की छुट्टी मांगी़ कंपनी ने बड़ी मुश्किल से छुट्टी दी. दशहरे के साथ छठ मनाने का भी मौका मिला है. उसी तरह तकिया के रहनेवाले अजीमुल अंसारी, बथुआ के रघुवंश तिवारी, पंचदेवरी के वीरेंद्र प्रसाद आदि युवा विभिन्न देशों से यहां पर्वों के इस उत्सव में लोकतंत्र का महोत्सव मनाने पहुंचे हैं.

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