अमित शाह का राजनीतिक डीएनए ही आरक्षण विरोधी : गगन

अमित शाह का राजनीतिक डीएनए ही आरक्षण विरोधी : गगनसंवाददाता,पटनाराजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का राजनीतिक डीएनए ही आरक्षण विरोधी है. जिसकी राजनीतिक जन्म ही आरक्षण विरोधी आंदोलन से हुआ है, वह आरक्षण का समर्थक कैसे हो सकता है. उनके राजनीतिक डीएनए में आरक्षण विरोध का खून दौड़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2015 6:34 PM

अमित शाह का राजनीतिक डीएनए ही आरक्षण विरोधी : गगनसंवाददाता,पटनाराजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का राजनीतिक डीएनए ही आरक्षण विरोधी है. जिसकी राजनीतिक जन्म ही आरक्षण विरोधी आंदोलन से हुआ है, वह आरक्षण का समर्थक कैसे हो सकता है. उनके राजनीतिक डीएनए में आरक्षण विरोध का खून दौड़ रहा है. 1981 में गुजरात के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी द्वारा गुजरात के मेडिकल कॉलेजों में पिछड़ों एवं दलितों के लिए आरक्षण लागू किया गया था. इसके विरोध में आरएसएस और भाजपा के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा आंदोलन चलाया गया था, जिसका नेतृत्व अमित शाह कर रहे थे. इसके एवज में उन्हें आरएसएस के राजनीतिक संगठन भाजपा में शामिल कर महत्व दिया जाने लगा. उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण विरोधी बयान के बाद भाजपा की कलई खुल चुकी है. दलित, महादलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक मतदाता भाजपा के खिलाफ महागठबंधन के पक्ष में गोलबंद हो गये हैं तो अमित शाह एवं उनकी टीम झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करना चाह रही है. 1977 में जननायक कर्पूरी ठाकुर द्वारा जब आरक्षण लागू किया गया तो तत्कालीन जनसंघ ने इसका विरोध किया था. जनसंघ, विद्यार्थी परिषद, जनता विद्यार्थी मोर्चा, जनता युवा मोर्चा सहित आरएसएस के अन्य अनुषांगिक संगठन के लोगों ने सड़क पर उतर कर आरक्षण का विरोध किया था. 1990 में राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जैसे नेताओं के पहल पर तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा जब मंडल आयोग की अनुशंसा को लागू किया गया तो भाजपा ने वी पी सिंह की सरकार से न केवल समर्थन वापस लेकर केंद्र की सरकार को अपदस्थ करने का काम किया बल्कि भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने मंडल के विरोध में दलितों, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों की एकता को तोड़ने के लिए कमंडल लेकर रथ यात्र पर निकल गये. इसके व्यवस्थापक वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बनाया गया था.

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