आज 16 कलाओं का चांद करेगा अमृत वर्षा
गोपालगंज : सनातन धर्म में आश्विन शुक्ल पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है. इस बार आश्विन शुक्ल पूर्णिमा तिथि 26 की रात 8.13 बजे लग रही है, जो 27 की शाम 5.53 बजे तक है. शास्त्र के अनुरूप प्रदोष व निशिथ काल में पूर्णिमा शरद पूर्णिमा मानी जाती है. कोजागरी व्रत की पूर्णिमा निशिथ […]
गोपालगंज : सनातन धर्म में आश्विन शुक्ल पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है. इस बार आश्विन शुक्ल पूर्णिमा तिथि 26 की रात 8.13 बजे लग रही है, जो 27 की शाम 5.53 बजे तक है. शास्त्र के अनुरूप प्रदोष व निशिथ काल में पूर्णिमा शरद पूर्णिमा मानी जाती है. कोजागरी व्रत की पूर्णिमा निशिथ व्यापिनी होनी चाहिए.
अत: शरद पूर्णिमा व कोजागरी व्रत पूर्णिमा दोनों 26 को मनायी जायेगी, तो 27 अक्तूबर को स्नान, दान, व्रत की पूर्णिमा मनायी जायेगी.अमृत रस वर्षा की मान्यताशरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है. इस रात चंद्रमा निर्मल-शीतल रहता है और चंद्र किरणों से अमृत वर्षा होती है. ज्योतिष विशेषज्ञ डाॅ विजय ओझा की मानें, तो रात अपने आराध्य का पूजन कर श्वेत वस्त्र धारण करा निर्मल चांदनी के प्रकाश में विराजमान कराया जाता है. उन्हें खीर और घी-चीनी मिश्रित भोग अर्पित कर खुले आसमान के नीचे रखा जाता है. दूसरे दिन यही प्रसाद रूप में ग्रहण करने से शरीर निरोग रहता है.
ज्योतिषीय तथ्य यह है कि चंद्रमा को औषधियों का स्वामी माना गया है. शरद पूर्णिमा पर षोड़श कलाओं का चंद्रमा खीर में औषधीय गुण दे जाता है. खीर आरोग्य दायक अमृत तुल्य हो जाता है. आयुर्वेद के अनुसार नक्षत्राधिपति चंद्रमा को औषधियों का स्वामी माना जाता है. इस दिन चंद्र के प्रकाश से आनेवाली किरणों में औषधियों का अमृतीय गुण खीर में आ जाता है. इसके सेवन से जीवन शक्ति मजबूत होती है.को जागृतिकोजागरी के पीछे मान्यता है कि इस रात ऐरावत पर सवार इंद्र व महालक्ष्मी भ्रमण पर निकलती है और पूछती है ‘को जागृति’ यानी कौन जाग रहा है.
भजन जागरण कर रहे भक्तों पर प्रसन्न होकर धन धान्य की वर्षा करती है. इस अवसर पर संकल्पपूर्वक उपवास को कोजागरी व्रत कहते हैं. इस रात देसी घी की पूड़ी और पुष्प गंध से पूजा कर देव मंदिरों, बाग बगीचों, तुलसी, पीपल वृक्ष, चौराहों, गलियों और घरों की छतों पर यथाशक्ति दीप प्रज्वलित करते हैं. सुबह स्नानादि कर इंद्र-लक्ष्मी, कुबेर की पूजा, ब्राहणों को घी-शक्कर युक्त खरीर खिलाने व दक्षिणा देने का विधान है.27 को स्न्नान दान व्रत का विधान 27 अक्तूबर को स्न्नान दान व्रत की आश्विन पूर्णिमा और एक मासीय अर्थात आश्विन पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक चलनेवाला कार्तिक व्रत स्नान दान यम नियम का शुरू हो जायेगा. इसी दिन से कार्तिक मास का दीपदान शुरू होगा, जो कार्तिक पूर्णिमा अर्थात 25 नवंबर तक चलेगा.