पटाखों का होता है पांच करोड़ का कारोबार

पटाखों का होता है पांच करोड़ का कारोबार पटाखे न फोड़ें, तो बेसहारों के घर भी खुशियांइस बार भी कान के परदे फाड़ देनेवाले पटाखे दिखेंगे बाजार मेंपांच करोड़ से 15 हजार बेसहारा परिवार को मिल सकता है कपड़ाबेसहारा लोगों के लिए आपको भी करना होगा सकारात्मक पहललोगो लगाएंफोटो -3 संवाददाता, गोपालगंजदीपावली खुशियों का पर्व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 4, 2015 6:26 PM

पटाखों का होता है पांच करोड़ का कारोबार पटाखे न फोड़ें, तो बेसहारों के घर भी खुशियांइस बार भी कान के परदे फाड़ देनेवाले पटाखे दिखेंगे बाजार मेंपांच करोड़ से 15 हजार बेसहारा परिवार को मिल सकता है कपड़ाबेसहारा लोगों के लिए आपको भी करना होगा सकारात्मक पहललोगो लगाएंफोटो -3 संवाददाता, गोपालगंजदीपावली खुशियों का पर्व है. अंधकार पर प्रकाश के विजय का त्योहार है. तेज आवाज वाले पटाखे खुशियों पर ग्रहण लगाते हैं. कई बार घरों में खुशियों के बजाय मातम छा जाता है. ये पटाखे शहर का पर्यावरण भी खराब करते हैं. इसके बावजूद लोग खतरनाक पटाखे छोड़ने से बाज नहीं आते हैं. जिले में पटाखों का कारोबार करीब पांच करोड़ रुपये का है. यदि लोग पटाखा फोड़ना छोड़ दें, तो उतने पैसे से 15 हजार ऐसे परिवार जो बेसहारा हैं, उनको नया वस्त्र दीपावली के मौके पर खरीद कर दिया जा सकता है. प्रभात खबर की अपील है कि आप दीपावली के मौके पर पटाखा खरीदने के बजाय मात्र एक गरीब परिवार को उतनी ही राशि से कपड़ा खरीद कर गिफ्ट कर दें, तो उसकी दीपावली भी खुशियों से भर जायेगी. जरूरत एक छोटी-सी पहल की है. अगर आप पहल करें, तो यह काफी आसान होगा. हम अपने घर को सजाएं, रोशनी से नहलाएं, लेकिन पटाखों से तोबा करें. जिले में छह से अधिक लाइसेंसी पटाखा दुकानें हैं. कई स्थानों पर पटाखा बनाने की फैक्टरी अवैध रूप से काम कर रही है. डॉ एसएन सिंह कहते हैं कि जाम और शोर की वजह से पहले से प्रदूषण की चपेट में चल रहे अपने शहर को हम खतरनाक पटाखों से तोबा कर कुछ राहत दे सकते हैं. शहर हमारा है, तो उसकी रक्षा का दायित्व भी हमारा ही है. हमें इस बार ऐसा ही करना चाहिए. 400 से अधिक दुकानें सजती हैं दीपावली के अवसर पर जिला प्रशासन लाइसेंस दे या न दे 400 से अधिक लोगों की पटाखा दुकानें सजती हैं. पिछले साल इतने ही लोगों को लाइसेंस दिया गया था. इस साल अभी तक एक भी आवेदन लाइसेंस के लिए नहीं दिया गया है.आपबीतीतकरीबन दस साल पहले की बात है. कुचायकोट की तरफ से घर आ रहा था. भठवां गांव में एक युवक ने पटाखा फोड़ा. पटाखा फट कर पैर पर आ गिरा. पैर जल गया. बहुत दर्द हुआ. लंबे समय तक इलाज कराना पड़ा. हजारों रुपये भी खर्च हुए. कामकाज का नुकसान अलग से हुआ. मैं शहर के लोगों से यही कहना चाहता हूं की दीपावली प्रकाश पर्व है. दीये जलाएं, लेकिन पटाखा कतई न छोड़ें. इससे किसी को लाभ नहीं होता है.फोटो-3 एं, आनंद बिहारी प्रसाद सिन्हा, अधिवक्तानेक सलाह पटाखे से सबसे ज्यादा नुकसान प्रदूषण काे हो रहा है. फटने के बाद तो इससे निकलनेवाली हानिकारक गैसों से वायुमंडल को नुकसान होता है. कई बार तो जलाते वक्त बच्चे इसकी चपेट में आ जाते हैं. इससे परहेज करना चाहिए. दीपावली प्रकाश का पर्व है. इसे मिट्टी के दीये तो तेल और घी से रोशनी कर के मनाएं तो यही सच्चा पर्व होगा. फोटो- 3 बी, डॉ आरपी सिंह, शिशु रोग विशेषज्ञ

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