भाजपा ने कबूल कर ली अपनी हार : महागंठबंधन

भाजपा ने कबूल कर ली अपनी हार : महागंठबंधनकहा-महागंठबंधन दो तिहाई बहुमत से बनाने जा रही है सरकार संवाददाता, पटनाजदयू, राजद और कांग्रेस महागंठबंधन ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा व एनडीए ने अपनी हार कबूल कर ली है. इस चुनाव में महागंठबंधन दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाने जा रही है. जदयू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 4, 2015 6:26 PM

भाजपा ने कबूल कर ली अपनी हार : महागंठबंधनकहा-महागंठबंधन दो तिहाई बहुमत से बनाने जा रही है सरकार संवाददाता, पटनाजदयू, राजद और कांग्रेस महागंठबंधन ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा व एनडीए ने अपनी हार कबूल कर ली है. इस चुनाव में महागंठबंधन दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाने जा रही है. जदयू कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जदयू के राज्यसभा सांसद पवन वर्मा ने भाजपा और उसके नेताओं से पांच सवाल पूछा है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने जिस तरीके से हथकंडा अपनाया है और चुनाव आयोग के आदेशों को अपनी डूबती नैया पार कराने के लिए उल्लंघन किया है. जिस प्रकार से चुनाव में भाजपा ने पुराने वीडियो को मुद्दा बनाया वह कहीं से शोभा नहीं देता है. प्रेस कांफ्रेंस में राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. मनोज झा ने कहा कि 2014 में मिले बहुमत को प्रधानमंत्री ने बादशाहत का सर्टिफिकेट मान बैठे हैं. जिस प्रकार आज लोग अपने पुरस्कार लौटा रहे हैं भाजपा और संघ के लोग निर्वस्त्र हो गये हैं. राजनीतिक दल के रूप में भाजपा अपनी साख खो चुकी है और आने वाले दिनों में अपनी मान्यता भी ना खो दे. कांग्रेस के प्रवक्ता चंदन यादव ने कहा कि एक व्यक्ति से सरकार नहीं चलती. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अौर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मोदी-शाह मॉडल देश में चलाना चाहते थे, लेकिन यह नहीं चल सकता है. भाजपा ट्रिपल पी, पब्लिसिटी, प्रोपेगेंडा व पैसा के बल पर काम करना चाहती थी, पर वह उसमें फेल हो गयी है. प्रेस कांफ्रेंस में जदयू सांसद हरिवंश और कांग्रेस नेता तनवीर हसन मौजूद थे. जदयू के भाजपा से पांच सवाल1. प्रधानमंत्री ने औघड़ व नीतीश कुमार के डेढ़ साल पुराने वीडियो को उठाया. उन्होंने तांत्रिक को महागंठबंधन का चौथा दल भी घोषित कर दिया. प्रधानमंत्री ही बताये कि वे आसाराम बापू की गोद में क्या कर रहे थे? बेजान दारूवाला से अपना हाथ दिखा कर किसका भविष्य जान रहे थे? पीएम नरेंद्र मोदी को पहले अपने गिरेबां में झांकना चाहिए. यह कैसे मुद्दा बना? क्यों बना? इसे मुद्दा बनाने की क्या जरूरत थी? स्पष्ट करें.2. प्रधानमंत्री नेता भी हैं और अभिनेता भी. मीसा भारती के लिए उन्होंने जिस प्रकार सेट कराने व बेचारी कहा वह अशोभनीय है. क्या प्रधानमंत्री बिहार की महिलाओं को अपमान कर अपनी गरिमा भूल गये हैं? 3. प्रधानमंत्री ने जाति कार्ड कई बार खेला. पहले वे पिछड़ा वर्ग से थे, बाद में अतिपिछड़ा वर्ग से हो गये. जबकि गुजरात में अतिपिछड़ा कोटि है ही नहीं. अगर कहीं और चुनाव होगा तो वहां कहेंगे कि वे दलित हैं. देश में नरेंद्र मोदी को छोड़ किसी पीएम ने जातिगत कार्ड नहीं खेला. 4. भाजपा बार-बार जंगलराज की बात करती है. दिल्ली में कानून व्यवस्था तार-तार है, जो केंद्र सरकार के जिम्मे है. व्यापमं में 50 हत्याएं हो चुकी हैं, फिर भी एमपी की सरकार को क्लीन चिट मिल गयी है. राजस्थान में सर्टिफिकेट के आधार पर चुनाव लड़ना तय किया गया, गुजरात में स्थानीय निकाय का चुनाव स्थगित किया गया. एेसे में वहां कौन-सा मंगलराज है? जंगलराज के सरोकार व पैरोकार तो भाजपा है. 5. बिहार चुनाव में भाजपा को कोई बिहारी चेहरा नहीं मिला. यह कैसा संघवाद है? कोई विकल्प नहीं है. बिहार ने अपना मुखिया, प्राथमिकता पहले ही तय कर लिया है. केंद्र सरकार जो देश के चरित्र में नहीं है उसे थोप रही है.

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