गांव में हर तरफ मचा है चीत्कार

गांव में हर तरफ मचा है चीत्कार फोटो 15 ,16देवान परसा (गोपालगंज). फुलवरिया प्रखंड की देवान परसा दलित बस्ती में एक-एक कर हुई तीन बच्चों की मौत से चीत्कार मचा है. गुरुवार को प्रभात खबर की टीम देवान परसा दलित बस्ती में पहुंची. सौ की आबादी वाले दलित टोले में सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. नंग-धड़ंग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2015 6:29 PM

गांव में हर तरफ मचा है चीत्कार फोटो 15 ,16देवान परसा (गोपालगंज). फुलवरिया प्रखंड की देवान परसा दलित बस्ती में एक-एक कर हुई तीन बच्चों की मौत से चीत्कार मचा है. गुरुवार को प्रभात खबर की टीम देवान परसा दलित बस्ती में पहुंची. सौ की आबादी वाले दलित टोले में सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. नंग-धड़ंग इधर-उधर घूमते बच्चे और महिलाओं के चीत्कार से यह साफ पता चल रहा था कि दलित बस्ती में कोई बड़ी घटना हुई है. जैसे ही हम राजेश राम के घर के पास पहुंचे, वहां सन्नाटा पसरा था. पूछने पर लोगों ने बताया कि इस दलित बस्ती में एक अज्ञात बीमारी ने घर बना लिया है. तीन बच्चों की मौत हो चुकी है. कुछ ग्रामीण इसे दैविक प्रकोप बता रहे हैं, तो कुछ ग्रामीणों का कहना है कि इस बस्ती में पसरी गंदगी ही इस बीमारी का मुख्य कारण है. इसी बीच रेफरल अस्पताल के डॉक्टर उपेंद्र सिंह वहां जिला मलेरिया पदाधिकारी डाॅ चंद्रिका पसाद के साथ पहुंचते हैं. गांव में ओआरएस के पैकेट वितरितडॉ चंद्रिका प्रसाद ने राजेश राम की बहन विभा कुमारी से जानकारी ली. 28 अक्तूबर के पहले बच्चों ने क्या खाया था. विभा ने बताया कि घरमें मछली बनी थी. डाॅक्टरों की टीम ने घर में लगे चापाकल के पानी का सैंपल लिया. साथ ही पूरे गांव में ओआएस के पैकेट वितरित कराये गये. बीमारी का कारण फूड प्वाइजनिंग !जैसे ही गांव में मेडिकल टीम की गाड़ियां पहुंचीं, लोगों की भीड़ राजेश के घर के पास पहुंचने लगी. लोगों में यह जानने की उत्सुकता थी कि आखिर मौत का राज क्या है. गांव लोगों से भी मेडिकल टीम ने बात की. उन्होंने बीमारी के बारे में कुछ खास तो नहीं बताया, लेकिन इतना जरूर कहा कि फिलहाल यह मामला फूड प्वाइजनिंग का लगता है.24 घंटे गांव में ड्यूटी करेगी मेडिकल टीम स्वास्थ्य विभाग ने गांव में 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करायी हैं. गांव में जो मेडिकल टीम कैंप कर रही है उसमें डाॅ केसी प्रसाद, सोनू कुमारी, चंद्रकला देवी, चिंता देवी, सुरेश राम एवं निर्मला कुमारी शामिल हैं. सभी को दलित बस्ती में बने आंगनबाड़ी केंद्र पर रहने को कहा गया है. आंगनबाड़ी केंद्र पर दवाओं के साथ-साथ ब्लीचिंग पाउडर, क्लोरिन एवं ओआरएस के घोल मुहैया कराये गये हैं. डाॅक्टरों के तर्क को नहीं मान रहीं महिलाएंमेडिकल टीम द्वारा मामले को फूड प्वाइजनिंग से जोड़ कर देखने का मामला गांव की महिलाओं को नहीं पच रहा है. घटना के एक दिन पूर्व यानी 27 अक्तूबर को राजू राम के घर मछली बनी थी. सभी लोगों ने मछली खायी थी. अगले ही दिन राजू के पुत्र प्रीतम की मौत हो गयी. उसे पेट दर्द के साथ उल्टी होने की शिकायत हुई थी. अगले ही दिन उसकी दूसरी बेटी प्रीति कुमारी की मौत हो गयी. सात दिनों के बाद राजेश राम के पुत्र सोनू कुमार की मौत हो गयी. इन घटनाओं के समय में अंतराल एवं डॉक्टरों के तर्क पर गांव की महिलाएं चिंता देवी, गौरी देवी, कलावती देवी, लालमति देवी, रूक्मीणा देवी आदि ने बताया कि मछली खाने पर इतने दिनों के बाद फूड प्वाइजनिंग क्यों हुई.

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