आकाशदीप महज दीया-बाती नहीं परंपराओं की थाती

आकाशदीप महज दीया-बाती नहीं परंपराओं की थाती संवाददाता, गोपालगंजकार्तिक मास पर्यंत टिमटिमाते आकाशदीप कहने को तो सिर्फ दीया और बाती हो सकते हैं, लेकिन वास्तव में यह गौरवशाली परंपराओं की अनमोल थाती है. संतों- ऋषियों से मिली उन उदात्त परंपराओं की धरोहर है यह जो सर्वे भवंतु सुखिन की कामना संग पूरे विश्व को तमस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2015 7:05 PM

आकाशदीप महज दीया-बाती नहीं परंपराओं की थाती संवाददाता, गोपालगंजकार्तिक मास पर्यंत टिमटिमाते आकाशदीप कहने को तो सिर्फ दीया और बाती हो सकते हैं, लेकिन वास्तव में यह गौरवशाली परंपराओं की अनमोल थाती है. संतों- ऋषियों से मिली उन उदात्त परंपराओं की धरोहर है यह जो सर्वे भवंतु सुखिन की कामना संग पूरे विश्व को तमस से उबार कर दिव्य ज्योति की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देते हैं. आकाश गंगा के समानानंतर प्रकाशगंगा प्रवाहित करने वाली यह परंपरा कब और कैसे शुरू हुई यह दावे के साथ तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन सनत्कुमार संहिता के कार्तिक महात्म्य के नौवें अध्याय में इस विशिष्ट माह के दौरान तिल के तेल से भरे आकाश दीपों के दान का उल्लेख मिलता है. आकाशदीप के मंतुव्य व अर्थ को लेकर बहुरंगी भारतीय जीवन दर्शन में अलग-अलग मान्यताएं हैं. दीपावली के दिन इसकी विशेष मान्यता है. धर्म : माना जाता है कि इन दीपों से देव ऋषि पितरों का इहलोक से परलोक तक का पथ आलोकित होता है. गंगा, यमुना, नारायणी तथा गोदावरी के किनारे आकाशदीप का अपना महत्व है. माना जाता है कि पूर्वजों की आत्मा को इसे शांति प्राप्त होती है. अध्यात्म : अध्यात्मिक दुष्टि से विद्वानों के अनुसार आकाश सर्वव्यापी परमात्मा का प्रतीक है, तो करंड जवात्मका का. इसमें ज्ञान बाती प्रज्वलित होने पर वंश काे यह बढ़ाता है. परमात्मा का समीप्य भी मिलता है. आकाशदीप दान से लक्ष्मी संतति, आरोग्य व श्रीहरि की प्रसन्नता की बातें ग्रंथों में मिलती हैं. लोक मान्यता : व्यवस्था के लिए परदेश गये परिजनों के मार्गदर्शन के लिए घाट पर दीप जलाने की परंपरा शुरू की गयी. पुराने समय में नदियां व नावें ही आवागमन का जरिया होती थीं. रात के घुप अंधेरे में ये टिमटिमाते दीये माणिक्य की तरह चमकते रहते और पथिक को राह दिखाते हैं.क्या है वैज्ञानिक मानताजहां तक भौतिक दृष्टि की बात है, ओस से भींगी काली रातों के निविड़ अंधकार को तमतमाती चुनौती देते ये नन्हें दीये निराश मन में आशाओं की नयी ऊर्जा का संचार तो करते ही हैं. इसको विज्ञानी अपने नजरिये से देखते हैं. उनका मानना है कि आकाशदीप व दीप प्रज्वलन पर्यावरण प्रदूषण को समाप्त करने में सहायक है.

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