नयी सरकार के सामने योजनाएं पूरी करने की भी चुनौती

नयी सरकार के सामने योजनाएं पूरी करने की भी चुनौती- सरकार गठन के बाद राज्य आंतरिक टैक्स कलेक्शन पर देना होगा विशेष ध्यान- तमाम योजनाओं को समय पर पूरा करने में दोगुणा गति से करना होगा प्रयाससंवाददाता/कौशिक रंजन, पटनानयी सरकार के गठन में अधिकांश विभागों को नये मंत्री मिलेंगे, जबकि अधिकांश मंत्री अपने पुराने विभाग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2015 7:05 PM

नयी सरकार के सामने योजनाएं पूरी करने की भी चुनौती- सरकार गठन के बाद राज्य आंतरिक टैक्स कलेक्शन पर देना होगा विशेष ध्यान- तमाम योजनाओं को समय पर पूरा करने में दोगुणा गति से करना होगा प्रयाससंवाददाता/कौशिक रंजन, पटनानयी सरकार के गठन में अधिकांश विभागों को नये मंत्री मिलेंगे, जबकि अधिकांश मंत्री अपने पुराने विभाग को ही आगे भी संभालते रहेंगे. परंतु नयी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती मौजूदा चल रही सभी योजनाओं को समय पर पुरा करने की होगी. इसके लिए राज्य को अपने आंतरिक स्रोतों को भी बढ़ाने पर खासतौर से ध्यान देना होगा. सभी योजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए खजाने की स्थिति अच्छी होना बेहद जरूरी है. करीब ढाई महीने तक विधान सभा चुनाव के कारण आचार संहिता लागू रहने के कारण वर्तमान में अधिकांश योजनाओं की रफ्तार बेहद धीमी पड़ गयी है. इन्हें गति दिये बिना समय पर पूरा नहीं किया जा सकता है. इसके नये मंत्रिमंडल को पूरजोर कोशिश करनी होगी. सभी योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए केंद्र सरकार से भी राज्य को अतिरिक्त सहायता लेनी पड़ सकती है.योजना आकार का 47 फीसदी ही हुआ खर्चचालू वित्तीय वर्ष में राज्य का योजना आकार 57 हजार करोड़ का है. इसमें महज 47 फीसदी यानी करीब 26 हजार करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं. जबकि आठवां महीना गुजर रहा है. शेष 53 फीसदी रुपये को बचे हुए चार महीने में सुनियोजित तरीके से खर्च करना सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगी. इसके लिए सशक्त योजना तैयार करने की जरूरत है, तभी रुपये समुचित रूप से खर्च हो पायेंगे. सरकार गठन करने के बाद नवंबर महीने तक त्योहार और विभाग की समझ समेत अन्य कार्यों में ही बीत जायेंगे. ऐसे में बहुत जल्दी काम की रफ्तार पकड़ेगी, तो वह दिसंबर से ही. ऐसे में योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए नयी सरकार के पास चार महीने से भी कम समय बचेंगे.आंतरिक स्रोत से टैक्स कलेक्शन हुआ 42 प्रतिशतइस वित्तीय वर्ष में राज्य को अपने आंतरिक स्रोतों से वित्तीय संसाधन जुटाने का लक्ष्य 34 हजार रखा गया है. इस लक्ष्य में टैक्स और नन-टैक्स दोनों तरह के स्रोत को शामिल किया गया है. इसमें अब तक 14.5 हजार करोड़ ही जमा हो पाया है, जो कुल लक्ष्य का 42 प्रतिशत ही है. योजनाओं को गति देने के लिए मजबूत आर्थिक स्रोतों की जरूरत पड़ेगी. इसमें आंतरिक आर्थिक स्रोत का मजबूत होना बेहद महत्वपूर्ण है.केंद्रीय शेयर से अब तक मिले 28 हजार करोड़ राज्य को वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान केंद्रीय टैक्स पुल से 50 हजार 747 करोड़ रुपये मिलना है. इसमें अब तक 28 हजार 998 करोड़ रुपये अब तक प्राप्त हो चुके हैं. यह रुपये 14 किस्तों में राज्यों को मिलते हैं. इसके आने की रफ्तार ठीक है. इसी तरह ग्रांट के रूप में 18 हजार 170 करोड़ मिलने हैं, जिसमें अब तक 11 हजार 23 करोड़ प्राप्त हुए हैं, जो कुल लक्ष्य का 60 फीसदी है. अगर इनकी रफ्तार इसी तरह जारी रही, तभी राज्य को आर्थिक सहायता मिल सकती है योजनाओं को गति देने में. बॉक्स में ………कई विभागों में खर्च की स्थिति बेहद खराबराज्य में कई विभागों के खर्च की स्थिति बेहद खराब है. इसमें कई विभाग ऐसे हैं, जिसमें जन कल्याण से जुड़ी योजनाओं की संख्या काफी ज्यादा है. अगर इन विभागों के खर्च की स्थिति नहीं सुधरी, तो कई जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पायेगा. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, कृषि, पंचायती राज, श्रम संसाधन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उद्योग, खाद्य एवं आपूर्ति, स्वास्थ्य समेत अन्य विभाग शामिल हैं. इनमें कई विभागों का खर्च 30 फीसदी भी नहीं पहुंचा है. इन विभागों में बड़ी संख्या में जनकल्याणकारी खासकर निम्न वर्ग के उत्थान के लिए योजनाएं चलती हैं.

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