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मेरे दिल की बात पीएम की मन की बात से बेहतर: तेजस्वी

मेरे दिल की बात पीएम की मन की बात से बेहतर: तेजस्वीनेता वह नहीं होता जो किसी भी कीमत पर चुनाव जीतने को आतुर दिखे, बल्कि वह होता है जो अपने शालीन व्यवहार से लोगों के सामने उदहारण पेश करे आलोचना की धार जितनी तेज़ होगी, मेरी रफ्तार उतनी तेज़ होगीअपनी स्थापित नकारात्मक धारणाओं को […]

मेरे दिल की बात पीएम की मन की बात से बेहतर: तेजस्वीनेता वह नहीं होता जो किसी भी कीमत पर चुनाव जीतने को आतुर दिखे, बल्कि वह होता है जो अपने शालीन व्यवहार से लोगों के सामने उदहारण पेश करे आलोचना की धार जितनी तेज़ होगी, मेरी रफ्तार उतनी तेज़ होगीअपनी स्थापित नकारात्मक धारणाओं को ध्वस्त करने का प्रयत्न करेंगेसंवाददाता, पटनाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात की तर्ज पर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद याादव ने भी दिल की बात शुरू किया है. उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव फेस बुक पर दिल की बात कही है. तेजस्वी के पिता और राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भी उनके विचारों को अपने ट्वीटर पर शेयर कर इनके विचारों पर अपनी मुहर लगा दी है. रविवार को फेसबुक पर जारी पोस्ट में तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा है कि मेरे दिल की बात मन की बात से बेहतर है. उन्होंने कहा कि आप लोगों के अथक परिश्रम के बाद मुझे बड़ी जिम्मेवारी मिली है. हम सबके लिए असली संघर्ष का समय अब शुरू हुआ है. हमें दुगुने उत्साह और समर्पण के साथ राज्य के लोगों की सेवा करना है. इसका जितना श्रेय हमारे समर्थकों और कार्यकर्ताओं को जाता है, उतना ही श्रेय उन आलोचकों को भी जाता है जिन्होंने अपनी नकारात्मक बयानों और आलोचनाओं से मुझे आत्मचिंतन और मनन करने के साथ-साथ और अधिक परिश्रम के लिए उत्साहित किया है. तेजस्वी ने लिखा है, मुझे इस मंजिल तक पहुचाने के लिए मैं उन सबका शुक्रगुजार हूं. चुनाव समय की परिस्थितियों का विस्तार से जिक्र किया है. दिल की बात में कहा कि, चुनावों में एक प्रत्याशी के रूप में लोकतंत्र के महासमर में अपना भाग्य आजमा रहा था. बल्कि, इसलिए भी क्योंकि मैं विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के निशाने पर भी था. एक विराट व्यक्तितव के पुत्र होने के नाते वंचितों की आकांक्षों और उम्मीदों की अहम जिममेवारी का एहसास बोध भी मुझे था. राजनीति में आलोचना करना स्वाभाविक है, शायद ज़रूरी भी . पर, विपक्ष के बड़े नेताओं ने जिस तरह के निम्न स्तर की बातें कर भावनाएं आहत कीं और लोकतांत्रिक मर्यादाओं को भी तार-तार किया वह मेरे लिए तकलीफदेह था. उन्होंने कहा है कि जितनी मेरी उम्र नहीं इससे अधिक उन नेताओं को सता का अनुभव है. ऐसे निम्न बातों से आने वाली पीढ़ी लोकतंत्र का क्या पाठ पढ़ा रहा है? उन्होंने कहा है कि नेता वह नहीं होता जो किसी भी कीमत पर चुनाव जीतने को आतुर दिखे, बल्कि वह होता है जो अपने शालीन व्यवहार से लोगों के सामने उदहारण पेश करे. मुझ जैसे युवा जब राजनीति के गलियारों में सकुचाए कदम बढ़ाते हैं तो प्रेरणा और हिम्मत के लिए राजनीति के नामचीन हस्तियों की ओर देखते हैं. बिन मांगे उनसे मार्गदर्शन पाते हैं और धीरे धीरे आगे बढ़ते हैं. पर, जब यही महानुभाव हम जैसे युवा नेताओं पर उनकी समर्थित संस्थाओं के माध्यम से आधारहीन व्यक्तिगत, छिछले, अनगर्ल और बचकाने आरोप लगाते हैं, तो निराशा होती है. निजी आक्षेप लगाना, कारण जानने के बावजूद विभन्नि मुद्दों पर मज़ाक बनाना, और राजनीति की भाषा को इसके निम्नतम स्तर पर ले जाना भारत के दिग्गज नेताओं को शोभा नहीं देता है. उन्होंने कहा है कि यह जानते हुए कि मैं शुरू से ही क्रिकेट में रूचि रखता था और क्लब क्रिकेट, अंडर 15, अंडर 19, आईपीएल और रणजी ट्रॉफी में नियमित रूप से भाग लेने के कारण मेरा पूरा ध्यान खेल पर था. उस वक़्त वही मेरी विशेषज्ञता थी, सब जानते हैं क्रिकेट में बाकी खेलों के मुकाबले ज्यादा वेतन मिलता है. इसके बावजूद चुनावी शपथ पत्र में मेरे द्वारा दिखाई गई वास्तविक राशि को भी विपक्षी लोगों द्वारा मुद्दा बनाने की कोशिश की गयी. उम्र विवाद पर भी खुल कर बोलेउम्र विवाद के सही कारण भली भांति जानते हुए भी चुनाव के मद्देनज़र बेवजह तूल दिया गया. विवाद पैदा करने के लिए ये मुद्दे ठीक हैं, पर समझदार जनता इन मुद्दों पर अपनी सरकार नहीं चुनती. लोकतंत्र में कार्यो की सराहना या भर्त्सना होनी चाहिए. उसकी योग्यता और उसकी कार्य क्षमता से आंकनी चाहिए ना की उसकी डिग्रियों से. उपेक्षित, उत्पीड़ित, भूखे ,नंगे, वंचित, शोषित, मजलूमों ,दलितों और गरीबों के हित में योजनाये बनाने के लिए किसी स्कूल या कालेज जाने की जरूरत नहीं होती . हमारे मुख्य विपक्षी दल द्वारा चुने गये गाय और पाकिस्तान जैसे मुद्दों का जनता ने क्या हश्र किया वो विपक्षी से ज्यादा शायद ही कोई ओर जानता हो. मैं आशा करता हूं कि बिहार की न्यायप्रिय जनता ने अपने बहुमत के माध्यम से जो कड़ा पाठ विपक्षी दलों को सिखाया है वो उससे जरुर सीखने का प्रयास करेंगे. मेरा सीधा एवं स्पष्ट मानना है कि कुंठा और पूर्वाग्रह से ग्रस्त लोग बिहार का विकास नहीं रोक सकते. आलोचनाओं से मैं घबराता नहीं आलोचना और आलोचकों से मैं घबराता नहीं हूं बल्कि इसका स्वागत करता हूं, बशर्ते वह सकारात्मक हो, जनता की भलाई से संबंधित हो, कुंठा और पूर्वाग्रहों से प्रेरित ना हो. आलोचना की धार जितनी तेज़ होगी, मेरी रफ्तार उतनी तेज़ होगी, उतना मैं सजग रहूंगा, उतना मैं प्रबल बनूंगा. बिहार की बेहतरी के लिए अगर आपको लगता है मुझे कुछ जानना चाहिये, समझना चाहिए तो आप कृपया नि:संकोच होकर मुझसे अपनी भावनाएं एवं विचार साझा कर सकते हैं.

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