बाढ़ की त्रासदी पर भारी पीड़ितों का जुनून
बाढ़ की त्रासदी पर भारी पीड़ितों का जुनून हौसला. विस्थापन के दर्द ने दिखायी राह, गांव को बना दिया शहरबघवार से आदर्श नगर का सफर, बदली तकदीर और तसवीरबदले सोच की कहानी बयां कर रहे बाढ़ विस्थापितफोटो- 5- शहर जैसा बना गांव.फोटो- 6 – गांव में कंप्यूटर से पढ़ाई करता छात्र.फोटो- 7 – बहुमंजिला निर्माणाधीन […]
बाढ़ की त्रासदी पर भारी पीड़ितों का जुनून हौसला. विस्थापन के दर्द ने दिखायी राह, गांव को बना दिया शहरबघवार से आदर्श नगर का सफर, बदली तकदीर और तसवीरबदले सोच की कहानी बयां कर रहे बाढ़ विस्थापितफोटो- 5- शहर जैसा बना गांव.फोटो- 6 – गांव में कंप्यूटर से पढ़ाई करता छात्र.फोटो- 7 – बहुमंजिला निर्माणाधीन इमारत.प्राकृतिक आपदा से लोग टूट जाते हैं. इनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी बुलंद हौसले के साथ अपनी तसवीर संवार लेते हैं. कुछ ऐसा ही आदर्श नगर के लोगों ने कर दिखाया है, जहां गंडक के कहर में अपना सब कुछ गंवाने के बाद डेढ़ दशक पहले आ बसे बाढ़ विस्थापित टूटे नहीं, बल्कि अपने जीवन की दशा को संवारते हुए मिसाल कायम की. झोंपड़ी में रहनेवाले अब महल खड़ा कर लिये हैं.प्रमोद तिवारी, गोपालगंजबरौली प्रखंड स्थित सारण तटबंध के किनारे बसा है आदर्श नगर गांव. बहुमंजिली और पक्के भवनों के साथ अधिकतर घरों में टेलीविजन चल रहा है. कई घरों में बच्चे कंप्यूटर पर कुछ सीख रहे हैं. यहां बूढ़े-जवान सभी अपने-अपने कामों में व्यस्त हैं. छुट्टी का दिन है, फिर भी बुजुर्ग बच्चों को पढ़ने की हिदायत दे रहे हैं. विकास ऐसा, मानो शहर है. कार्य कुछ इस प्रकार, जैसे सब कुछ एक शिड्यूल में है. ठीक 15 साल पहले आदर्श नगर का नाम भी नहीं हुआ करता था. 2001 में आदर्श नगर की नींव पड़ी. जब गंडक के कहर से तबाह हो चुके ग्रामीण दर्द की दास्तां लिये वीरान खेतों में आकर बसने लगे. डेढ़ दशक में बघवार से आदर्श नगर तक के सफर में ग्रामीणों की न सिर्फ सोच बदली, बल्कि पेट की आग बुझाने के लिए मेहनत के लिए बढ़े इनके हाथ अपनी तकदीर को संवारते हुए एक नयी तसवीर बना डाली है. यहां न सिर्फ बिल्डिंग है, बल्कि हर युवा काम में लगे हुए हैं. कोई परदेस जाकर कमा रहा है, तो कोई गांव में खेती-बारी को व्यवसाय बना लिया है. बच्चे पढ़ने में लगे हैं. सबकी सोच बस एक ही है विकास. बाढ़पीड़ितों की स्थिति तब और अबबरौली प्रखंड के बघवार गांव वर्ष 2001 मेें गंडक के कटाव से पूरी तरह तबाह हो गया. इसके पूर्व इस गांव में 300 परिवार रहते थे, जिनका मुख्य पेशा मवेशी पालन एवं खेती था. यहां के ग्रामीण कई ऐसे थे, जो बाजार भी नहीं जानते थे. गांव में महज एक आदमी नौवीं पास था. पूरी तरह ग्रामीण वेशभूषा और पिछड़ापन की कहानी यह गांव बयां करती थी. गंडक द्वारा मचायी गयी तबाही में इन ग्रामीणों का सब कुछ जमींदोज हो गया. इनकी सोच, इनकी वेषभूषा सब कुछ गंडक में ही दफन हो गये.ऐसे बदली तसवीरविस्थापन के बाद ग्रामीणों के सामने भूख मिटाने की समस्या खड़ी थी. सबसे पहले अशेषर यादव दिल्ली गये और वहां पत्थर घिंसाई का काम शुरू किया. आज भी वे दिल्ली में ही हैं. इनका घर चार मंजिला है. धीरे-धीरे यहां के युवा दिल्ली और पंजाब का रूख करने लगे. वर्तमान में यहां के 150 युवा बाहर में कार्यरत हैं, जो राजमिस्त्री, पत्थर घिंसाई, बेल्डर, पाइप फिटर के कार्य में लगे हैं. बच्चों को शिक्षित करने की है होड़आदर्शनगर के अशोक साह का लड़का सोनू कुमार भोपाल में इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है, तो रूमा यादव का लड़का भैरव कुमार पटना में इंजीनियरिंग की कोचिंग कर रहा है. यहां के सभी बच्चे स्कूल जाते हैं और प्रत्येक अभिभावक इन्हें उच्च शिक्षा देने के लिए प्रयासरत हैं. एक नजर में आदर्श नगरकुल घर – 117पक्का मकान – 85टीवी से युक्त घर – 80कंप्यूटर की व्यवस्था- 5राजमिस्त्री में कार्यरत – 40पत्थर घिंसाई – 55बेल्डर- 25फिटर – 10अन्य कार्य- 60मैट्रिक में पढ़नेवालों की संख्या – 60इंटर – 30स्नातक – 15अन्य शिक्षा – 08क्या कहते हैं लोगगंडक की तबाही के पूर्व हमलोग बाजार भी नहीं देखे थे. तबाही के बाद भूख मिटाने के लिए बच्चे काम करने लगे, तो जमाना ही बदल गया. अब तो कई शहर घुम लिये. आदमी अगर मेहनत करे, तो बिना किसी की सहायता के अपनी किस्मत बदल लेगा, जैसे यहां सब कुछ बदल गया है.फोटो – 8 -अशेषर यादव, ग्रामीणतबाही के बाद हमने मेहनत की और बच्चों को मेहनत करने लायक बनाया. नतीजा है कि आज सुख है और वह भी पहले से अधिक. प्रयास है कि सभी बच्चे पढ़ कर अच्छा करें.फोटो – 9 – भगवान ठाकुर, ग्रामीणहमारी तो दुनिया ही बदल गयी है. गंडक के कटाव के बाद हमलोगों ने धैर्य का परिचय दिया और बिना किसी सरकारी सहायता के जीने का मार्ग ढूंढ लिया.फोटो- 10- विशेषर यादव, ग्रामीणहमलोग गंडक की तबाही सुने हैं, देखे नहीं. प्रयास है कि पढ़-लिख कर अच्छे ओहदे पर जायें. हमारे सर्किल के सभी छात्र जी-तोड़ प्रयास कर कुछ करने के लिए बेताब हैं.फोटो – 11- भवसागर, छात्र