पंचायत और शहरी निकायों के खिलाफ चल रहे मामलों पर क्या हुई कार्रवाई

पंचायत और शहरी निकायों के खिलाफ चल रहे मामलों पर क्या हुई कार्रवाईविधि संवाददाता, पटनापटना उच्च न्यायालय ने पंचायत और शहरी निकायों के जन प्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे मामलों में देरी पर सरकार को फटकार लगायी है. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का उल्लंघन करार दिया है जिसमें आरोप गठित होने वाले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2015 9:49 PM

पंचायत और शहरी निकायों के खिलाफ चल रहे मामलों पर क्या हुई कार्रवाईविधि संवाददाता, पटनापटना उच्च न्यायालय ने पंचायत और शहरी निकायों के जन प्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे मामलों में देरी पर सरकार को फटकार लगायी है. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का उल्लंघन करार दिया है जिसमें आरोप गठित होने वाले लोगों के खिलाफ एक साल के भीतर कार्रवाई को पूरा कर लेने का आदेश दिया गया है. कार्य वाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए आगामी आठ फरवरी को हलफनामा दायर कर विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि आरपीआइ एक्ट के तहत जिस अारोपी के खिलाफ आरेप पत्र गठित हो गया है उसके खिलाफ चल रहे मामले को एक साल में निष्पादित कर देना होगा. लेकिन, शहरी और पंचायती राज निकायों के जन प्रतिनिधियों पर यह फैसला लागू नहीं हो रहा है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को स्वयं हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा है कि सरकार के स्तर पर अब तक इस संबंध में क्या-क्या कार्रवाई की गयी है. कोर्ट ने इस संबंध में अधिकारियों के साथ विचार कर सुनवाई के दिन जानकारी देने को कहा है. सिविल कोर्ट बन गया, सुविधा क्यों नहीं, 11 जनवरी को बताये सरकारविधि संवाददाता, पटना पटना उच्च न्यायालय ने जिलों में हाल में गठित सिविल कोर्ट में आधारभूत सुविधा उपलब्ध नहीं होने पर कड़ी फटकार लगायी है. कार्य वाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह ने मंगलवार को इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 11 जनवरी को सरकार से जवाब देने को कहा है. अधिवक्ता दीनू कुमार की लोक हित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार की ओर से इन जगहों पर क्या सुविधा बहाल की गयी है हलफनामा दायर कर जानकारी मांगी है. याचिका में कहा गया कि नये जगहों पर सिविल कोर्ट खोल दिये गये लेकिन, इन जगहों पर न्यायाधीश नहीं हैं. वकील और उनके बैठने की सुविधा तक नहीं है. याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि अदालत परिसर को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार के चालीस हजार करोड़ खजाने में यूं ही पड़ी है. इसका उपयोग नहीं हो रहा है. कोर्ट ने 11 जनवरी को जवाब देने को कहा है. कोर्ट ने एनएमसीएच में डेढ करोड़ की मशीन खरीद पर एक्क्शन टेकेन रिपोर्ट मांगीविधि संवाददाता, पटनापटना उच्च न्यायालय ने नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल में 2007 में डेढ करोड़ की कीमत वाली सिटी स्कैन मशीन खरीदे जाने के मामले में एक्शन टेकेन रिपोर्ट मांगी है. कार्य वाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह ने मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अब तक की गयी कार्रवाई से अवगत कराने को कहा है. एनएमसीएच में 2007 में डेढ करोड़ की लागत से सिटी स्कैन मशीन की खरीद की गयी थी. लेकिन आज तक इस मशीन का उपयोग नहीं हुआ है. कोर्ट ने इसके लिए सरकार से जानकारी मांगी.

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