उग्रवाद ग्रस्त जिलों के युवाओं का होगा कौशल विकास

उग्रवाद ग्रस्त जिलों के युवाओं का होगा कौशल विकासश्रम संसाधन विभाग जुटा तैयारी में गढ़चिरोली मॉडल पर होगा कामदीपक कुमार मिश्रा, पटना राज्य के 14 उग्रवाद ग्रस्त जिलों के युवाओं का श्रम संसाधन विभाग का कौशल विकास करेगा. इसका मुख्य उद्देश्य युवाओं का नक्सल गतिविधियों की ओर भटकाव नहीं हो. पहले चरण में 1400 युवाओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2015 6:26 PM

उग्रवाद ग्रस्त जिलों के युवाओं का होगा कौशल विकासश्रम संसाधन विभाग जुटा तैयारी में गढ़चिरोली मॉडल पर होगा कामदीपक कुमार मिश्रा, पटना राज्य के 14 उग्रवाद ग्रस्त जिलों के युवाओं का श्रम संसाधन विभाग का कौशल विकास करेगा. इसका मुख्य उद्देश्य युवाओं का नक्सल गतिविधियों की ओर भटकाव नहीं हो. पहले चरण में 1400 युवाओं को प्रशिक्षित किया जायेगा. महाराष्ट्र के गढ़चिरौली मॉडल जल्द ही बिहार में भी दिखेगा. प्रशिक्षित युवाओं में से कम-से-कम 70 फीसदी को विभाग नियोजन भी करायेगा. उग्रवाद ग्रस्त जिलों के युवाओं का भटकाव नक्सल गतिविधियों की ओर नहीं हो, स्वरोजगार और अपने कौशल विकास के जरिये समाज की मुख्यधारा में रहकर बेहतर जीवन जी सकें इसकी तैयारी श्रम संसाधन विभाग ने शुरू कर दी है. बिहार कौशल विकास मिशन के सहयोग से प्रशिक्षण दिया जायेगा. पहले चरण में उग्रवाद ग्रस्त 14 जिलों से सौ- सौ यानी 1400 युवाओं का कौशल विकास किया जायेगा. उग्रवाद ग्रस्त जिलों के उग्रवाद ग्रस्त प्रखंडों से युवाओं का चयन होगा. इनको इलेक्ट्रिक एंड इलोक्ट्रिक्स , पारा मेडिकल. ऑटोमोटिव, सेवा आदि के क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया जायेगा. प्रशिक्षण के बाद इनको प्रमाणपत्र दिया जायेगा तथा कम-से-कम 70 लोगों के नियोजन भी करायेगा. शेष 30 युवा स्वरोजगार के जरिये अपना काम करेंगे. मार्च तक पहले फेज का काम पूरा हो जायेगा. इन जिलों के युवाओं को मिलेगा प्रशिक्षणपटना, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, कैमुर,नवादा, अरवल, भागलपुर, बांका. मुंगेर, जमुई. लखीसराय, शेखपुरा और वैशालीगढ़चिरोली मॉडलमहाराष्ट्र का गढ़चिरौली नक्सल ग्रस्त क्षेत्र है.बड़ी संख्या में यहां के युवा नक्सल गतिविधि से जुड़ गये थे या जुड़ते जा रहे थे. इन युवाओं का भटकाव रोकने के लिए उनको कामकाज व स्वरोजगार से जोड़ा गया. उनका कौशल विकास किया गया, रोजगारन्मुखी प्रशिक्षण देकर उनको आर्थिक गतिविधियों से जोड़ दिया गया. इसका जबरदस्त लाभ मिला और पूरे देश में यह एक मॉडल बनकर उभरा. इस मॉडल को कई राज्यों ने अपने नक्सल ग्रस्त जिलों में अपनाया.

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