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नाबालिग दोषी की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज

नाबालिग दोषी की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज नयी दिल्ली : सुपीम कोर्ट ने निर्भया कांड के नाबालिग दोषी की रिहाई के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग की अपील सोमवार को यह कहते हुए ठुकरा दी कि इस संबंध में स्पष्ट विधायी मंजूरी होना चाहिए. न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित के […]

नाबालिग दोषी की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज नयी दिल्ली : सुपीम कोर्ट ने निर्भया कांड के नाबालिग दोषी की रिहाई के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग की अपील सोमवार को यह कहते हुए ठुकरा दी कि इस संबंध में स्पष्ट विधायी मंजूरी होना चाहिए. न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित के पीठ ने कहा, अगर कुछ किया जाना है, तो यह कानून के अनुसार होगा. हमें कानून लागू करना है. इसके साथ ही पीठ ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष होने की हैसियत से स्वाति मालीवाल द्वारा किये गये आग्रह पर सुनवाई से इनकार कर दिया. पीठ इस तर्क से सहमत नहीं हुआ कि नाबालिग अपराधी को किशोर कानून के तहत दो साल या अधिक अवधि तक सुधार की अतिरिक्त प्रक्रिया से गुजारा जा सकता है. सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा ‘‘क्या हम संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिये गये किसी के जीवन की गारंटी के अधिकार को नहीं छीन रहे हैं? इसके लिए कानून में कुछ नहीं है? इससे पहले दिल्ली महिला आयोग की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि इस किशोर अपराधी को अतिरिक्त सुधार प्रक्रिया से गुजारे जाने की अनुमति दी जाये. दिल्ली महिला आयोग के वकील ने बाहर आने पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निराशा जाहिर करते हुुए कहा कि उसने किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और सुरक्षा) कानून के प्रावधानों पर विचार नहीं किया. उन्होंने कहा कि किशोर को सुधार प्रक्रिया से गुजरना होगा और खुफिया ब्यूरो की एक रिपोर्ट में संकेत दिया गया था कि उसकी सोच को कट्टरपंथी बनाने का प्रयास भी किया गया था. केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता पिंकी आनंद ने दिल्ली महिला आयोग की दलीलों का समर्थन करते हुए कहा कि किशोर को सुधार प्रक्रिया जारी रहते तक निगरानी में रखा जा सकता है. पीठ ने कहा, कानून बनाये बिना आप उनका समर्थन कर रहे हैं. साथ ही पीठ ने कहा ‘‘इस संबंध में कोई विधायी मंजूरी होनी चाहिए. आगे पीठ ने कहा, ‘‘हम आपकी चिंता साझा करते हैं, लेकिन विधायी मंजूरी के बिना कुछ नहीं कर सकते. पीठ के अनुसार, अवधि को तीन साल से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने 19-20 दिसंबर की मध्यरात्रि को दिल्ली महिला आयोग की याचिका पर तत्काल सुनवाई करते हुए किशोर की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. देर रात करीब दो बजे दिये गये अपने आदेश में अवकाश पीठ ने मामले की सुनवाई आज के लिए नियत की थी. कल जारी और एक गैर सरकारी संगठन को भेजी गई विज्ञप्ति में कहा गया है कि अब 20 साल के हो चुके इस किशोर ने हमलावरों में से सर्वाधिक क्रूरता की थी. दिल्ली उच्च न्यायालय के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग की विशेष अनुमति याचिका को प्रधान न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने उच्चतम न्यायालय की अवकाश पीठ के पास भेज दिया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने किशोर की रिहाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था.

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