कटावपीड़ितों पर भारी पड़ रही पूश की रातपुआल का बिछावन और गुदरा ओढ़ कर कट रहीं सर्द भरी रातें4562 कटाव पीड़ित परिवार को नहीं मिल पाया सरकारी सहयोगदिन भर हाड़तोड़ मजदूरी के बाद किसी तरह मिल पाती है दो वक्त की रोटीसंजय कुमार अभय, विशुनपुर तटबंधन रहने को घर है न सोने को बिस्तर. तटबंध पर बसे गंडक नदी के कटाव पीड़ितों के जीवन पर पूश की रात भारी पड़ रही है. तटबंध आम तौर पर 20 फुट ऊंचा है. पछिया सर्द हवा कलेजा को छेद रही. इस तटबंध पर लगभग 662 कटाव पीड़ित परिजनों पर एक एक रात भारी पड़ रही है. सनसनाती हवा, शीतलहर तथा घने कुहरे के बीच पुआल इनका बिछावन और गुदरा ओढ़ना है. शासन प्रशासन की तरफ से इन पीड़ितों को एक अदद कंबल तक नसीब नहीं होता. ठंड से निजात के लिए इनके पास अलाव के अलावा कोई चारा नहीं है. महादलित, यादव तथा पिछड़ी जातियों के परिवार यहां जीवन से जंग लड़ रहे हैं. कटाव पीड़ित 4562 ऐसे परिवार हैं जिनके पास सिर छुपाने के लिए एक छोटी-यी झोपड़ी तो है, लेकिन उसमें भोजन के भी लाले हैं.ठंडा पड़ा है गरीबों का चूल्हाविशुनपुर तटबंध पर महादलितों के इस बस्ती में अधिकांश घरों का चूल्हा ठंडा पड़ा हुआ है. गांव की उमरावती देवी की मानें तो अधिकतर घरों की चूल्हा मजदूरी पर जलता है. मजदूरी अगर मिल गयी, तो शाम में घर का चूल्हा जलेगा. अगर नहीं मिली मजदूरी, तो चूल्हा भी नहीं जलता. मनरेगा से काम मिलने की संदर्भ में तेतरी देवी झल्ला उठी. उसका कहना था कि जॉब कार्ड तो बना है, लेकिन किसके पास है अभी तक पता नहीं. यह सिर्फ तेतरी का नहीं अधिकतर गरीबों की पीड़ा है. महिलाएं घर की काम खत्म कर खेतों में मजदूरी करती हैं. नहीं मिली मजदूरी तो जलावन की व्यवस्था करने में व्यस्त रहती है. शराब ने तबाह कर दिया घर का सुकूनविशुनपुर के तटबंध पर वर्ष 2011 में आयी बाढ़ से विस्थापित होकर यहां बसे दलित और महादलित परिवार के सुकून को अवैध कारोबार ने छीन लिया है. गांव के विशुनीराम शराब की नशे में धुत था. प्रभात खबर की टीम जब गांव में पहुंची, तो विशुनी राम नशे की हालत में महिलाओं के साथ अप शब्द का प्रयोग कर रहा था. जब पूछा गया तो पता चला कि सिर्फ विशुनीराम ही नहीं बल्कि गांव के अधिकतर मर्द दिन भर काम करते हैं. शाम में मजदूरी का पैसा चौक पर ही पान की दुकान में बिकने वाली शराब की दुकान पर लूटा देते हैं. घर पहुंच कर महिलाओं तथा बच्चों को पीटते हैं. शराब दुकानदार जगरनाथ शाही ने बताया कि जादोपुर की शराब भट्ठी से उसे आवश्यकता अनुसार शराब बेचने के लिए मिल जाती है. क्या कहते हैं ग्रामीणआठ माह से वृद्धावस्था पेंशन के लिए चक्कर लगा रही हूं. अब तक पेंशन नहीं मिली है. कब मिलेगी उम्मीद नहीं है. ठंडी में राशन के अभाव में रोजी -रोटी की भी समस्या है. लाल परी देवीपुअरा बिछा के बोरा में पुआल भर कर रात में बाल बच्चों के साथ ओढ़ कर रात बिताते हैं. दिन में धूप में काम चल जाता है. बच्चों को इतना कपड़ा नहीं की ठंड से बचा सके. घउलरिया देवीएक कंबल के लिए भी तरसना पड़ता है. विधायक, एमपी, मुखियाजी सबको सिर्फ वोट चाहिए. वोट के बाद हमारी दुर्दशा को देखने के लिए कोई आता तक नहीं.सिमांती देवीगंडक नदी से कटाव के बाद सरकार से तीन डिसमिल जमीन देने को कहा गया था. आज तक जमीन नहीं मिली. पिछले पांच साल से इस तटबंध के किनारे अपना झोंपड़ी डाल कर किसी तरह जीवन बीता रहे हैं. प्रभावती देवी क्या कहते हैं अधिकारीगंडक नदी के कटाव से पीड़ित परिजनों को प्राथमिकता के आधार पर कंबल बांटने का निर्देश दिया गया है. मृत्युंजय कुमार, एसडीओ
कटावपीड़ितों पर भारी पड़ रही पूश की रात
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