पिता बीमार, 10 साल के बेटे ने संभाली दुकान

पिता बीमार, 10 साल के बेटे ने संभाली दुकानडॉक्टर बन कर पापा के सपने को करेगा साकारपढ़ाई व दुकानदारी के साथ-साथ पिता व छोटे भाई का करा रहा इलाज फोटो न. 4संवाददाता, सासामुसा ‘कितनी जल्दी पैरों पर खड़े हो गये हम, समय से पहले ही बड़े हो गये हम. लाद कर कंधे पर घर भर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 9, 2016 6:21 PM

पिता बीमार, 10 साल के बेटे ने संभाली दुकानडॉक्टर बन कर पापा के सपने को करेगा साकारपढ़ाई व दुकानदारी के साथ-साथ पिता व छोटे भाई का करा रहा इलाज फोटो न. 4संवाददाता, सासामुसा ‘कितनी जल्दी पैरों पर खड़े हो गये हम, समय से पहले ही बड़े हो गये हम. लाद कर कंधे पर घर भर की जिम्मेवारियां, बचपन तलाश करते कहां खो गये हम.’ यकीनन यह पंक्ति उन मासूम बच्चों की जिंदगी का फासला है, जो बचपन की तलाश करते-करते वो बड़े हो जाते हैं, खुद उन्हें भी पता नहीं चलता. ऐसा ही कुछ इन दिनों सासामुसा बाजार में खराब इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाते दस साल के छात्र अब्दुल गफूर को देख कर पता चलता है. पिता मो हनीस अंसारी के बीमार होने के बाद उसने घर का जिम्मा खुद उठाया. सबसे पहले उसने बीमार पिता को खेतों में काम करने से रोका. स्कूल से आने के बाद अपने पिता की सासामुसा बाजार में रिपेयरिंग दुकान (कुकर, टॉर्च आदि ) में हाथ बंटाने लगा. इस तरह अपने घर का बोझा उसने अपने कंधे पर ले लिया. मां-पिता और मानसिक रूप से विक्षिप्त भाई का इलाज भी कराता. इन दिनों वह अच्छी तालीम के लिए प्रयासरत है. उसने बताया कि उसके पिता की ख्वाहिश है कि उसे और बड़ा भाई सफीक अहमद को अच्छी तालीम मिले. वह रोज साइकिल से थावे स्थित जामियां इसलामियां स्कूल जाता है और फिर अपने काम में लग जाता है. वह कहता है कि पढ़ाई नहीं छोड़ेंगे और डॉक्टर बन कर पिता के सपने को साकार करेंगे. हर दिन तीन से चार सौ रुपये की कमाई हो जाती है. इससे उसके परिवार का भरण-पोषण हो जाता है. बच्चे के जज्बे को सलाम डॉ एमए अंसारी बताते हैं कि मेरा क्लिनिक सासामुसा बाजार में है. मैं रोज इस बच्चे की दुकान पर इसलिए जाता हूं कि उसे काम करते हुए देख सकूं. दो साल से यह बच्चा अपने पिता की जिम्मेवारियों को निभा रहा है. निश्चित ही इस छात्र का जज्बा सलाम करने लायक है. ऐसे बच्चे को आगे बढ़ाना चाहिए. कोशिश करते हैं कि हम कुछ कर सके.क्या कहते हैं पदाधिकारी – फोटो न. 5अब्दुल गफूर का जज्बा सलाम करने लायक है. हमारे पास योजनाओं का दायरा है. लेकिन, एक होनहार छात्र को उसकी पढ़ाई में कोई कठिनाई न हो, इसके लिए शिक्षा विभाग हर संभव मदद करेगा.अशोक कुमार, डीइओ

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