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इबीसी वर्ग हाशिये में, जातीय पेशे से नहीं निकल पा रहा बाहर : मांझी

इबीसी वर्ग हाशिये में, जातीय पेशे से नहीं निकल पा रहा बाहर : मांझीहम के अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ की हुई बैठकसंवाददाता, पटनापूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोरचा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि इबीसी वर्ग आज भी हाशिये में है. ये वर्ग जातीय पेशे से आज तक बाहर नहीं निकल पाया है. जब […]

इबीसी वर्ग हाशिये में, जातीय पेशे से नहीं निकल पा रहा बाहर : मांझीहम के अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ की हुई बैठकसंवाददाता, पटनापूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोरचा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि इबीसी वर्ग आज भी हाशिये में है. ये वर्ग जातीय पेशे से आज तक बाहर नहीं निकल पाया है. जब तक लोहार, कुम्हार, तेली, बड़ही, नाई, कहार, माली, बेलदार, नोनिया, बिंद और मल्लाह आदि अत्यंत पिछड़ी जाति के लोगों का प्रतिनिधत्वि समाज के हर क्षेत्र में ना हो जाये, तबतक बिहार में सामाजिक न्याय की बात नहीं की जा सकती. जीतन राम मांझी अपने आवास पर पार्टी के अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ की बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि दलितों की तरह अत्यंत पिछड़ी जाति के लोगों के साथ भी समाज में भेदभाव किया जाता है. उन्हें पंचपौनिया कहा जाता है. बिहार में इबीसी की आबादी 35 फीसदी है. संविधान में आबादी के अनुपात में आरक्षण की बात की गयी है. इसलिए इबीसी को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए. तामिलनाडू में आरक्षण का दायरा 69 फीसदी हो सकता है तो बिहार में क्यों नहीं? बैठक में यह भी तय हुआ कि हम 24 जनवरी को जन नायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनायेगी. बैठक की अध्यक्षता हम के अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कमलेश प्रसाद चंद्रवंशी ने की. बैठक में श्रीप्रकाश मालाकार, भागवत लाल वैश्यंत्री, ओम प्रकाश शर्मा, वसंत गुप्ता, रामनिवास पाल, पप्पू सिंह, महेन्द्र मालाकार, राजकुमार बिंद, अरूण चंद्रवंशी, विजय चंद्रवंशी, शंकर चंद्रवंशी, सत्यनारायण शर्मा सहित बिहार के हर जिले से पार्टी के अतिपिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ता शामिल हुए. दलित, अतिपिछड़ा व मुस्लिम एक हों : वृषिण पटेलहिंदुस्तानी अवाम मोराच के प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल ने कहा कि दलित, अल्पसंख्यक और अतिपिछड़ों को बंधक वोटर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. डरा कर इनका वोट लिया जाता है. इनको वाजिव प्रतिनिधित्व और सामाजिक हिस्सेदारी नहीं दी जाती है. समय आ गया है कि दलित, अल्पसंख्यक व अतिपिछड़ा एक हो जाये और अपनी सरकार बनाएं. अगर ये एक हो गये तो अपने अधिकारों के लिए किसी के आगे गिड़गिड़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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