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बरौली में चिट फंड कंपनी पर छापेमारी

संवाददाता, बरौली (गोपालगंज) भोले -भाले लोगों को लोभ दिखा कर उनकी गाढ़ी कमाई को दिन -दहाड़े लूटनेवाली फर्जी कंपनियों पर प्रशासन का शिकंजा कसने लगा है. बरौली में चल रही विशाल स्टोक ब्रोकिंग इंडिया प्रालि नामक चिट फंड कंपनी तथा यूपी की कैमुना को-ऑपरेटिव सोसाइटी लि. पर प्रशासन के अधिकारियों ने छापेमारी कर कई महत्वपूर्ण […]

संवाददाता, बरौली (गोपालगंज)

भोले -भाले लोगों को लोभ दिखा कर उनकी गाढ़ी कमाई को दिन -दहाड़े लूटनेवाली फर्जी कंपनियों पर प्रशासन का शिकंजा कसने लगा है. बरौली में चल रही विशाल स्टोक ब्रोकिंग इंडिया प्रालि नामक चिट फंड कंपनी तथा यूपी की कैमुना को-ऑपरेटिव सोसाइटी लि. पर प्रशासन के अधिकारियों ने छापेमारी कर कई महत्वपूर्ण रिकॉर्ड को जब्त किया है. साथ ही बरौली के कोटवा रोड में विशाल स्टोक ब्रेकिंग प्रालि की शाखा को छापेमारी टीम ने सील कर दिया . साथ ही कैशियर समेत तीन को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. वहीं शाखा प्रबंधक फरार बताया गया है.

बता दें कि बरौली के सुदामा साह ने अपनी पत्नी सुगांती देवी के नाम पर इस कंपनी में वर्ष 2010 में जब इसका कार्यालय गोपालगंज शहर के चिराई घर के पास था, तब 10 हजार रुपये तीन वर्ष में तीन गुना होने के लोभ में जमा किया था . बाद में कंपनी की शाखा को वर्ष 2013 में ही बरौली में शिफ्ट कर दी गयी . यहां इस कंपनी के कर्मी प्रतिदिन 50 से 60 हजार रुपये तक की वसूली करते थे. प्रति साल करोड़ों का कारोबार था . इस बीच सुदामा साह को जब पैसा नहीं मिला तो उसने डीएम कृष्ण मोहन से शिकायत की . इस पर वरीय उपसमाहर्ता तथा बैंकिंग के प्रभारी बालेश्वर प्रसाद , लिड बैंक के प्रबंधक पीके अग्रवाल , बीडीओ शशिभूषण मिश्र एवं बरौली पुलिस की टीम गठित कर छापेमारी का आदेश दिया. गुरुवार की सुबह 10.30 बजे जैसे ही विशाल स्टोक ब्रोकिंग इंडिया प्रालि का कार्यालय खुला कि अधिकारियों की टीम ने छापेमारी की . छापेमारी के दौरान कंपनी की कोई वैध कागजात नहीं मिली .

बैंक के महत्वपूर्ण रिकॉर्ड को अधिकारियों ने जब्त कर लिया . इसके बाद कैशियर सिधवलिया थाना क्षेत्र के शेर के रहनेवाले ब्रजकिशोर , कंप्यूटर ऑपरेटर हरदिया के रहनेवाले राजकुमार तिवारी , सिधवलिया के रहनेवाले एजेंट देवेंद प्रसाद को हिरासत मे लेकर पुलिस पूछताछ में जुटी हुई है. यह कंपनी सिधवलिया थाना क्षेत्र के लोहिजरा गांव के एसके दूबे तथा कोलकाता के रतन चौधरी इस कंपनी के डायरेक्टर हैं. इनके द्वारा यहां इस कंपनी को संचालित किया जाता था . अधिकारी कंपनी के निदेशकों से संपर्क में जुटे हुए हैं.

जमाकर्ताओं के होश उड़े

विशाल स्टोकब्रोकिंग इंडिया प्रालि में छापेमारी के बाद कार्यालय को सील कर दिये जाने की खबर पर जमाकर्ताओं के होश उड़े हुए हैं. बरौली बाजार में ही इस कंपनी में 500 से अधिक जमाकर्ता प्रतिदिन पैसा जमा करते थे, जिसके कारण कार्यालय पर छापेमारी की खबर मिलते ही उनके होश उड़ गये. जांच अधिकारियों के सामने एक भी वैध कागजात का नहीं मिलना जमाकर्ताओं की नींद हराम कर दी है. बिहार में यह पहली शाखा है. कर्मचारियों ने इस कंपनी का सब कुछ कोलकाता में होने की बात अधिकारियों को बतायी है. जमाकर्ताओं क ो भय है कि कहीं उनका रुपये मारा न जाय.

काफी मुश्किल से छोटी- छोटी रकम को बचा कर भविष्य को संवारने के लिए व्यवस्था की गयी थी, लेकिन जमाकर्ताओं की बेचैनी इस कंपनी ने बढ़ा दी है. सबसे अधिक छोटे दुकानदारों ने ही अपना खाता इस कंपनी में खोल रखा था. कमोबेश यही हाल कैमुना कोऑपरेटिव सोसाइटी की भी है.

महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त

विशाल स्टोक ब्रेकिंग इंडिया प्रालि के कार्यालय पर छापेमारी के बाद तत्काल अधिकारियों ने बरौली में चल रहे यूपी की कैमुना को-ऑपरेटिव सोसाइटी लि के कार्यालय पर छापेमारी की गयी . छापेमारी के दौरान कई कागजात को जब्त किया गया . पूछताछ के बाद कर्मचारियों को छोड़ दिया गया . साथ ही इन्हें कल तक का मौका दिया गया है कि वे अपना रिकॉर्ड अधिकारियों के समक्ष पेश करें. कैमुना को-ऑपरेटिव सोसाइटी पिछले दो वर्षो से बरौली में संचालित है. इसके हजारों की संख्या में जमाकर्ता है, जिनको बेहतर ब्याज का लाभ देकर उनकी गाढ़ी कमाई को इस बैंक में जमा कराया जाता था. इनकी रिकॉर्ड मिलने तक कार्यालय को सील किया गया है. अधिकारियों की टीम पूरे दिन यहां रिकार्ड को खंगाला है. कई कागजात संदिग्ध पाते हुए उन्हें जब्त किया गया है. अधिकारियों का मानना है कि सोसाइटी लि. के पूरे नेटवर्क खंगालने का काम शुरू कर दिया गया है.

कैमुना कोऑपरेटिव सोसाइटी के हेड कार्यालय से भी जांच टीम ने संपर्क स्थापित किया है. जमाकर्ताओं को किस एक्ट के तहत राशि जमा करायी जाती इसकी जानकारी अब तक प्रशासन के अधिकारियों को नहीं मिल सकी है.

फंसते गये जमाकर्ता

बरौली में ज्यादा ब्याज के आकर्षक लोभ में जमाकर्ता फंसते चले गये.प्रशासन के अधिकारियों ने जब छापेमारी की तो तब जमाकर्ताओं को होश आया कि ब्याज के लोभ में वे फंस चुके हैं.

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