BIHAR : गोपालगंज में मुसलिम लड़कियां पढ़ती हैं संस्कृत

कुचायकोट : बेशक पूरे देश में संस्कृत की पढ़ाई के प्रति युवाओं में रुचि घटती जा रही है. हिंदुओं के घरों के बच्चे वेद से दूर होते जा रहे हैं, वहीं मुसलिम युवतियों की जुबां से देववाणी गूंज रही है. वेद और ऋचाओं की गूंज से पूरे माहौल में एक खास मिठास घुल रही है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2016 5:16 AM

कुचायकोट : बेशक पूरे देश में संस्कृत की पढ़ाई के प्रति युवाओं में रुचि घटती जा रही है. हिंदुओं के घरों के बच्चे वेद से दूर होते जा रहे हैं, वहीं मुसलिम युवतियों की जुबां से देववाणी गूंज रही है. वेद और ऋचाओं की गूंज से पूरे माहौल में एक खास मिठास घुल रही है. जब वर्तमान में दिलों की दूरियां बढ़ रही हैं, ऐसे में यूपी की सीमा पर स्थित गोपालगंज जिले का राधा कृष्ण संस्कृत हाइस्कूल, बथनाकुटी में हिंदुओं से अधिक मुसलिम युवतियां संस्कृत की पढ़ाई कर रही हैं.

गोपालगंज में मुसलिम
पहले तो परिजनों ने विरोध किया, लेकिन आज वे स्वयं इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित कर रहे हैं. गोपालगंज में वैसे तो संस्कृत के कुल छह हाइस्कूल हैं, जबकि हथुआ में शास्त्री तक की पढ़ाई होती है. यहां पढ़नेवाले छात्रों की संख्या सौ दो सौ तक सिमट कर रह गयी है. दूसरी तरफ कुचायकोट प्रखंड के बथनाकुटी स्थित संस्कृत हाइस्कूल में पहुंचते ही अलग अनुभूति होती है. यहां कुल 116 विद्यार्थी इस बार मध्यमा की परीक्षा देंगे, जिनमें 86 मुसलिम लड़कियां हैं. ये नियमित वर्ग में शामिल होती हैं. संस्कृत के श्लोक, वंदना, स्तुति इनकी जुबान पर रहती है.
पिछले पांच वर्ष के रेकाॅर्ड पर नजर डालें, तो माध्यमा की परीक्षा देनेवालों में 60-62 फीसदी मुसलिम युवतियाें व युवकों ने इस हाइस्कूल से संस्कृत की पढ़ाई की है. विद्यालय में पढ़नेवाली हफुआ, यूपी की रहनेवाली आसमा खातून ने बताया कि मुझे उर्दू से बेहतर संस्कृत समझ में आती है. यह देववाणी है. मैं संस्कृत की पढ़ाई कर अपने कैरियर में कुछ अलग करने का सपना रखती हूं. बथना की रजिया सुल्तान ने कहा कि उर्दू पढ़ने के लिए परिवार के लोगों का दबाव था.
मैं रेडियो पर संस्कृत का समाचार सुनती थी. मुझे संस्कृत पढ़ना अच्छा लगा. इसलिए मैं संस्कृत से आचार्य और ज्योतिष में पीएचडी करना चाहती हूं. ठीक इसी तरह नरहवां की रेहाना ने बताया कि उनके खालू (मौसा) ने सुझाव दिया था कि संस्कृत की पढ़ाई करना. मैंने जिद कर संस्कृत पढ़ने के लिए परिजनों को राजी किया. मुसलिम छात्राओं ने सामूहिक रूप से कहा कि संस्कृत न सिर्फ देववाणी है, बल्कि भारतीय संस्कृति को भी सुसज्जित करती है. आपस में सद्भाव, सदविचार की प्रतीक है संस्कृत. यह विद्यालय आपसी दूरियों को मिटाने के लिए अपना अहम योगदान दे रहा है.

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