गायत्री महायज्ञ से भक्ति में डूबा इलाका

भक्ति सागर में आधी रात तक डूबे रहे दर्शक रासलीला देख भाव विह्वल हो रहे लोग कटेया : गौरा मंदिर के प्रांगण में चल रहे गायत्री पुरश्चरण महायज्ञ में कथा व्यास जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी महाराज ने कहा कि कपिल मुनि जो भगवान के अवतार थे ने अपनी माता देवहूति को ही उपदेश दिया और बताया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2016 4:43 AM

भक्ति सागर में आधी रात तक डूबे रहे दर्शक

रासलीला देख भाव विह्वल हो रहे लोग
कटेया : गौरा मंदिर के प्रांगण में चल रहे गायत्री पुरश्चरण महायज्ञ में कथा व्यास जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी महाराज ने कहा कि कपिल मुनि जो भगवान के अवतार थे ने अपनी माता देवहूति को ही उपदेश दिया और बताया कि मनुष्य अन्नमयकोष, प्राणमयकोष, मनोमयकोष, विज्ञानमयकोष एवं आनन्दमयकोष का बना हुआ है. ईश्वर का साक्षात्कार होता और दुखों से सदा के लिए छुटकारा मिल जाता है. भक्ति करने के लिए जाति-पांति की कोई शर्त नहीं है.
शर्त है तो केवल अटूट विश्वास, अविचल निष्ठा एवं सतत साधना की. जाति पांति पूछे नहीं कोई हरि को भजे सो हरि का होई. शिष्यों में यदि बिट्ठलनाथ जैसे ब्राह्मण थे, तो कबीर जैसे जुलाहा एवं रविदास(रैदास) जैसे दलित. इन्हीं रैदास की शिष्या मीरा जैसी भक्तिमती क्षत्राणी थी. इसके पूर्व कथा मंच पर गायक बलराम दूबे ने महाराजश्री अनंतश्रीविभूषित बाबा विश्वम्भर दास की महिमागान एवं कथा व्यास जगद्गुरु रामानंदाचार्य जी का स्वागत गान प्रस्तुत किया.
स्वामी विशंभरदास जी ने स्वयं परम्परानुसार व्यासपीठ का पूजन किया. महेश मणिरामदासजी, अर्धेंदु बाबू, सर्वेश, सेवानिवृत्त कस्टम अधीक्षक रवींद्रनाथ पांडेय, केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य डॉ वीएस मिश्रा, शिक्षक कैलाशपति मिश्र, प्रो सुरेंद्र पांडेय, प्राचार्य विजयशंकर पांडेय, जितेंद्र तिवारी, मुरलीधर तिवारी, उपेंद्र पांडेय, विनय मिश्र, शंभु शरण दूबे, जितेंद्र दूबे, वीरेंद्र तिवारी, कैलाशपति मिश्र, नरेंद्र तिवारी,
विश्वनाथ भगत, दुर्गेश वर्मा (फाजिलनगर) एवं प्रेमचंद पाठक ने भी व्यासपीठ का पूजन वंदन किया. पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय, श्रीकांत मिश्र, अध्यक्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ एवं प्रमोद मिश्र, आचार्य चंद्रभान मिश्र, डॉ पंकज शुक्ल धर्मेन्द्र शुक्ल, आदि के नेतृत्व में शताधिक पंडितों द्वारा जप, हवन, आरती तथा सहस्त्रों भक्तों द्वारा परिक्रमा का सिलसिला चलता रहा.

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