82 दिनों तक शराब से जंग, फिर मिली जीत

82 दिनों तक शराब से जंग, फिर मिली जीतसंवाददाता, पटनाशराब की लत लगना आसान है, लेकिन इससे छुटकारा पाना उतना ही कठिन. फिर भी, अगर इंसान चाहे तो कोई भी काम कठिन नहीं होता. तभी तो एक पक्का इरादा किया और झटके में शराब से पीछा छुड़ा लिया. यह सच्ची कहानी है रितेश कुमार की. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 7, 2016 6:30 PM

82 दिनों तक शराब से जंग, फिर मिली जीतसंवाददाता, पटनाशराब की लत लगना आसान है, लेकिन इससे छुटकारा पाना उतना ही कठिन. फिर भी, अगर इंसान चाहे तो कोई भी काम कठिन नहीं होता. तभी तो एक पक्का इरादा किया और झटके में शराब से पीछा छुड़ा लिया. यह सच्ची कहानी है रितेश कुमार की. शराब छोड़ने के लिए रितेश खुद नशा विमुक्ति केंद्र में भरती हुए. शराब के साथ उनकी लड़ाई 82 दिनों तक चली और अंत में रितेश की जीत हुई. पिछले छह महीने से उन्होंने शराब को हाथ तक नहीं लगाया है. फिलहाल वह बेरोजगार हैं, लेकिन इस दौरान उन्होंने खुद को परिवार की सेवा में लगा रखा है. पढ़िए उनकी कहानी, उन्हीं की जुबानी…शराब पीता था तो मर-मर कर जीता था, आज बिंदास हूं शराब की लत क्या होती है, यह कोई मुझसे पूछे. मेरी किस्मत अच्छी थी कि समय रहते मैं संभल गया और इस बुरी आदत से निकल पाया. मेरे पापा की मौत 2012 में शराब पीने से ही हुई है. पापा के जाने के बाद मैं पूरी तरह टूट गया. पूरे परिवार की जिम्मेवारी मेरे ऊपर आ गयी. मेरे अलावा घर में मां, बहन और एक भाई है. मैं कचहरी में काम करता था. मेरी कमाई अच्छी नहीं थी. थोड़ा बहुत ही कमा पाता था. मै काफी परेशान रहता था. इससे मुझे गैस का प्राब्लम हो गया. मैं किसी से कुछ बोल नहीं पाता था. जो थाेड़ी-बहुत कमाई होती थी, उसे परिवार में लगा देता था.इसी बीच एक दोस्त की शादी में गया. वहां दोस्तों ने जबरदस्ती शराब पिला दी. शराब पीने से मुझे गैस की समस्या से काफी राहत मिली. मुझे लगा कि यह तो मेरे लिए सबसे अच्छी दवा है. इसके बाद मै थोड़ी-बहुत शराब लेने लगा. ऐसे में मुझे शराब की लत कब लग गयी पता नहीं चला. इसी बीच एक एक्सीडेंट हो गया. इसमें मेरा बांया हाथ टूट गया. छह महीने तक प्लास्टर लगी रही. इससे मुझे और काफी अकेलापन हो गया. अकेलेपन के कारण और शराब पीने लगा. शराब के कारण शरीरिक रूप से भी कमजोर होने लगा. नशा मुक्ति केंद्र हितैशी के बारे में पहले से सुना था. एक दिन मां को साथ लेकर हितैशी बस दिखाने आया. लेकिन, उन लोगों ने मुझे भरती कर लिया. मैं 82 दिनों तक हितैशी हैप्पीनेस होम में रहा. इस बीच कई बार शराब पीने का मन करता था. लेकिन मैंने ठान लिया था कुछ भी हो जाये, अब शराब नहीं पीऊंगा. आठ दिसंबर, 2015 काे मैंने अंतिम बार शराब पी. अब मैं कभी शराब नहीं पीऊंगा. बिहार सरकार ने जो फैसला लिया है, वह बहुत ही अच्छा है. यह फैसला अगर पहले ले लिया होता तो आज मेरे पापा हमारे साथ होते. रितेश कुमार, तिपोलिया, पटना सिटी

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