शराबमुक्त बिहार खुशहाल बिहार

गोपालगंज के मीरगंज में शराब की जगह सजी टॉफी और खिलौने की दुकान. पहले बेचते थे शराब, अब परचून की दुकान गो पालगंज : जिले के मीरगंज की कटहवा गली कभी देशी शराब के धंधे के लिए बदनाम थी. हालांकि, इस गली में और भी दुकाने थीं, लेकिन इधर आने से लोग कतराते थे़ कारण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 11, 2016 6:47 AM

गोपालगंज के मीरगंज में शराब की जगह सजी टॉफी और खिलौने की दुकान.

पहले बेचते थे शराब, अब परचून की दुकान
गो पालगंज : जिले के मीरगंज की कटहवा गली कभी देशी शराब के धंधे के लिए बदनाम थी. हालांकि, इस गली में और भी दुकाने थीं, लेकिन इधर आने से लोग कतराते थे़ कारण था दिन भरी शराबियों का जमावड़ा लगना़ लेकिन, शराबबंदी के बाद लोगों ने रोजगार का नया साधन खोज लिया़ कच्ची स्पिरिट बेचनेवाले लोग आज गुरधनिया (ऊबले हुए आलू में मसाला भरा हुआ), टॉफी, खिलौना व बच्चों के लिए सामान बेच रहे हैं.
हालांकि, दरअसल शराबबंदी होने के पांच दिनों तक इंतजार करने के बाद यह अचानक बदलाव हुआ है. मुहल्ले के युवक रामेश्वर ने बताया कि शराब के कारोबार बंद होने से काफी खुशी है.
खासकर बच्चों को अब एक नया माहौल मिलेगा.
जहां थे मयखाने, वहीं खुल रहीं नयी दुकानें
रा ज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू किये जाने के बाद बाजार के नक्शे में परिवर्तन आया है. पहले जहां मयखाने थे और देर रात तक भीड़ लगी रहती थी वहां अब नयी-नयी दुकानें खुल रही हैं. कहीं फर्नीचर, तो कहीं किसी अन्य चीज की दुकानें खुल रही हैं. आसपास के दुकानदारों ने अपनी बगल में हो रहे परिवर्तन से खुश जतायी हैं. पहले जब मयखाने थे तो हर दिन कोई न कोई विवाद और मारपीट की घटना होती रहती थी. बगल में शराब की दुकान होने के कारण महिलाएं एवं सभ्य लोग दुकानों में आने से परहेज करते थे. मयखाना हटने के साथ ही उन दुकानों में भीड़ बढ़ गयी है. जो लोग पहले मयखाना चलाते थे अब वैकल्पिक व्यवसाय अपना रहे हैं.
कहीं कपड़ा की दुकान तो कहीं जेनरल स्टोर्स खुल रहे हैं. पूराने शराब के कई दुकानों में अब भी ताले लगे हुए हैं और इसके मालिक वैकल्पिक रोजगार की तलाश में हैं. वहीं कुछ दुकानदारों ने व्यवसाय का रास्ता त्यागने का मन बनाया है. बाजार में आये इस परिवर्तन से आम लोगों में काफी हर्ष हैं.
कमाई बढ़ी, अब संवरेगी िजंदगी
उतरा शराब का नशा, बही बदलाव की बयार
एक फैसला कितना प्रभावी होता है, यह देखने को तब मिला जब एक अप्रैल कोे देशी शराब पर पाबंदी लगायी गयी़ इसके बाद लोगों ने इतना उत्साह दिखाया कि सरकार ने पांच अप्रैल को सूबे में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा कर दी़ सरकार के अचानक लिये निर्णय से लोग स्तब्ध जरूर थे, पर आनंद व उत्साह इससे अधिक था़ शराबबंदी पर पूरे सूबे से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आयीं ़ खास कर महिलाओं ने इस पर जश्न तक मनाया़ समाजशास्त्री इसे सामाजिक बदलाव में अहम कारक के रूप में देख रहे हैं.
क्योंकि सूबे बढ़ी नशाखोरी की लत से समाज का एक बड़ा हिस्सा काफी चिंतित था़ खास कर आनेवाली पीढ़ी के प्रति. इस फैसले ने वैसे परिवारों को सुकून दिया, जो शराब के कारण परेशान थे या परिजनों की अकाल मौत देखी थी़

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