साइबर अपराधियों का बढ़ा नेटवर्क, पुलिस शिथिल

गोपालगंज : पुलिस के लिये साइबर अपराधी चुनौती बने हुए हैं. अपराधियों तक पुलिस नहीं पहुंच पा रही है, जिससे आम आदमी ठगी के शिकार हो रहे हैं. इसमें कहीं-न-कहीं हमारी भी चूक या असावधानी कम नहीं है. बैंक के अधिकारी से लेकर आरबीआइ के अधिकारी बता कर बैंक के खाते की जानकारी मोबाइल पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 16, 2016 5:55 AM
गोपालगंज : पुलिस के लिये साइबर अपराधी चुनौती बने हुए हैं. अपराधियों तक पुलिस नहीं पहुंच पा रही है, जिससे आम आदमी ठगी के शिकार हो रहे हैं. इसमें कहीं-न-कहीं हमारी भी चूक या असावधानी कम नहीं है. बैंक के अधिकारी से लेकर आरबीआइ के अधिकारी बता कर बैंक के खाते की जानकारी मोबाइल पर लेकर एकाउंट से खरीददारी कर ली जाती है या फिर पैसा उड़ा लिया जाता है. देश भर में गोपालगंज के साइबर अपराधियों का जाल फैला हुआ है.
सूचना प्रौद्योगिकी के तेजी से बढ़ते कदम में अपराध के नये आयाम के रूप में साइबर क्राइम तेजी से उभर रहा है. जैसे-जैसे मोबाइल, एटीएम, क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधाओं का चलन बढ़ा है, इसके साथ ही साइबर क्राइम की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. विभिन्न थानों से आये आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन सालों के दौरान करीब 125 मामले सामने आये हैं. इनमें 43 मामलों को सुलझा लिया गया है. शेष मामलों पर जांच चल रही है.
इ-मेल के जरिये: ऐसे मामलों में इ-मेल का उपयोग करते हुए कोई जालसाज ठगी कर लेता है. झांसा, लालच, आश्वासन, फर्जी विज्ञापन समेत अन्य कई हथकंडों का उपयोग इ-मेल के संदेश के जरिये करते हैं.
एटीएम या क्रेडिट कार्ड से : धोखे से दूसरों के क्रेडिट कार्ड का गलत उपयोग करना, धोखाधड़ी से एटीएम का पिन पूछ कर पैसे निकाल लेना. किसी दूसरे की एटीएम या क्रेडिट कार्ड की चोरी करके उसका उपयोग कर लेना. एटीएम से पैसे निकालने के दौरान धोखा करना.
फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया से : फर्जी एकाउंट से गलत आइडी बना कर परेशान करना. किसी लड़की के प्रोफाइल या सोशल मीडिया पर मौजूद जानकारी का गलत उपयोग करना. ऐसी जानकारियों का ब्लैकमेल करने के लिये इस्तेमाल करना.
सावधानी : जालसाजों से बचान के उपाय
किसी को बैंक खाते की जानकारी न दें.
मोबाइल पर जानकारी मांगने वाला बैंक अधिकारी नहीं, साइबर अपराधी है.
एटीएम कार्ड दूसरे के हाथों में कभी न दें.
पैसा निकालते वक्त यह तय कर लें कि एटीएम कार्ड दूसरे के हाथ न लगे.
पैसा निकालने के बाद एटीएम में लाल क्रॉस का बटन जरूर दबा दें.
पैसा निकालने के समय अकेले प्रवेश करें
ऑनलाइन लेन-देन से संबंधित बैंकों की तरफ से जारी निर्देशों का ठीक से पालन करें.
अपने सोशल मीडिया के एकाउंट में किसी को ऐसे ही लाइक या शेयर नहीं करें.
साइबर सुरक्षा से दी तमाम छोटी-बड़ी बातों का पालन करें.
केस एक : सिविल कोर्ट के लोक अभियोजन देववंश गिरि मार्च, 2016 में हजियापुर स्थित एटीएम से पैसा निकालने के लिये गये. पैसा निकालने के दौरान उनका एटीएम कार्ड बदल कर खाते से 1.20 लाख रुपये की निकासी कर ली गयी. इस मामले की शिकायत नगर थाने में दर्ज करायी गयी है, लेकिन प्राथमिकी दर्ज करने के बाद कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है.
केस दो : गंडक कॉलोनी निवासी अमित कुमार के मोबाइल पर पांच दिसंबर, 2015 को फोन आया. फोन करने वाले ने खुद को आरबीआइ का अधिकारी बता कर एटीएम नंबर बदल जाने की बात कही. उसने अमित कुमार का एटीएम नंबर नोट कर लिया. झांसा दिया कि थोड़ी देर में नया नंबर आपके मोबाइल पर मैसेज जायेगा. थोड़ी देर में दो बार कर मैसेज आया कि 44 हजार रुपये की खरीददारी बेंगलुरु में कर ली गयी है.
केस तीन : गोपालपुर थाना क्षेत्र के सेमरा निवासी महेंद्र कुमार यादव 18 जून, 2015 को गोपालगंज पोस्ट ऑफिस चौक के पास एटीएम से पैसा निकाल रहे थे. पैसा नहीं निकला, तो पीछे खड़े युवक ने उसकी मदद की. फिर भी पैसा नहीं निकला. इतने में युवक ने एटीएम कार्ड बदल लिया. बाद में दो दिनों के बाद पता चला कि उनके खाते से 92 हजार की निकासी कर ली गयी है. इस मामले में महेंद्र यादव ने नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी. आज तक पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं सकी है.
फोटो न. 1 मनोज कुमार
क्या कहते हैं एसडीपीओ
ग्राहक की थोड़ी सी लापरवाही के कारण साइबर अपराधी घटना का अंजाम देने में सफल होते हैं. आम लोगों को भी पैसे के लेन-देन के वक्त तथा मोबाइल फोन पर बैंक खाते की जानकारी मांगने पर नहीं बताये, वैसे जिन कांडों की प्राथमिकी दर्ज हुई है पुलिस उसमें जांच कर रही है.
मनोज कुमार, सदर एसडीपीओ
क्या कहता है आइटी कानून
6 महीने से एक साल तक के दंड का प्रावधान, पेनाल्टी का भी प्रावधान
देश में साइबर अपराध से निबटने के लिये एक विशेष आइटी कानून, 2008 तैयार किया गया है.
इसमें अपराध की प्रकृति के हिसाब से कार्रवाई करने का पूरा प्रावधान दिया हुआ है. हालांकि अमेरिका व कई यूरोपियन देशों की तुलना में यह कानून बहुत सख्त नहीं है. परंतु इसमें भी छह महीने से एक साल के बीच दंड देने का प्रावधान दिया गया है. धोखाधड़ी या ब्लैकमेलिंग के बड़े मामलों में सीआरपीसी की धारा लगा कर भी दोषी को कठोर सजा दिलायी जा सकती है. पेनाल्टी करने का भी प्रावधान दिया हुआ है इस कानून में.

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