आठ नर्सिंग होमों पर एफआइआर
गोपालगंज : चर्चित गर्भाशय कांड की जांच पूरी होने के लिए सोमवार को नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. सिविल सर्जन डॉ मधेश्वर प्रसाद शर्मा ने आठ नर्सिंग होम संचालकों व इनके चिकित्सकों को नामजद अभियुक्त बनाया है. डॉक्टरों पर बीमा की राशि हड़पने की नीयत से महिलाओं का गर्भाशय निकालने का आरोप लगाया […]
गोपालगंज : चर्चित गर्भाशय कांड की जांच पूरी होने के लिए सोमवार को नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. सिविल सर्जन डॉ मधेश्वर प्रसाद शर्मा ने आठ नर्सिंग होम संचालकों व इनके चिकित्सकों को नामजद अभियुक्त बनाया है. डॉक्टरों पर बीमा की राशि हड़पने की नीयत से महिलाओं का गर्भाशय निकालने का आरोप लगाया है.
मजिस्ट्रेट की जांच पूरी होने के बाद डीएम के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिकी दर्ज करायी है. इनमें उपकार सेवा सदन, सृष्टि सौम्या हॉस्पिटल के डॉ रामेश्वर सिंह, मीरगंज के आलम हॉस्पिटल के डॉ गौहर आलम, जगदंबा नर्सिंग होम के डॉ अशोक कुमार चौधरी, सर्जी न्यूरों सेंटर, विप्रॉसी हॉस्पिटल के डॉ बैद्यनाथ सिंह, गुप्ता हॉस्पिटल मीरगंज के डॉ सुबास चंद्र गुप्ता, सौरभ हॉस्पिटल के प्रबंधक डॉ संजीव कुमार शामिल हैं.
स्वास्थ्य विभाग ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तियों को हेल्थ कार्ड मुहैया कराया था. हेल्थ कार्ड के जरिये बीपीएल परिवार के सदस्यों का 35 हजार तक का नि:शुल्क इलाज करना था. चिकित्सकों ने अनैतिक आर्थिक लाभ के लिए बिना किसी कारण महिलाओं का गर्भाशय निकाल दिया गया और इनकी जान खतरे में डाल दी गयी. आज भी ये चिकित्सक अपनी नर्सिंग में मरीजों की इलाज कर रहें हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग के इस कार्रवाई से गर्भाशय पीडि़तों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है.
इन पर गर्भाशय निकालने की हुई प्राथमिकी
उपकार सेवा सदन
सृष्टि सौम्या हॉस्पिटल
आलम हॉस्पिटल, मीरगंज
जगदंबा नर्सिंग होम
सर्जी न्यूरों सेंटर
विप्रॉसी हॉस्पिटल
डॉ सुबास चंद्र गुप्ता हॉस्पिटल, मीरगंज
सौरभ हॉस्पिटल
अब नाम बदल चला रहें नर्सिंग होम
गर्भाशय कांड को सरकार ने जब जांच कराने का आदेश दिया. तब नर्सिंग होम संचालकों ने अपनी हॉस्पिटल का नाम बदल दिया, ताकि सिल करने की कार्रवाई न हो सके. आज नर्सिंग होम के चिकित्सक वहीं है, अस्पताल भी वहीं है, सिर्फ नाम बदल कर स्वास्थ्य विभाग से रजिस्ट्रेशन करा लिया गया. गर्भाशय कांड में जिन चिकित्सकों पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी हैं, इनमें कई सरकारी अस्पताल के चिकित्सक हैं.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
‘बीमा कंपनी का पैसा हड़पने के लिए ऑपरेशन कर महिलाओं का गर्भाशय निकाल दिया गया. जिससे मरीजों को शारीरिक गंभीर जख्म हुआ है. जांच के बाद रिपोर्ट आने पर चिकित्सकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.’
डॉ मधेश्वर प्रसाद, सीएस, गोपालगंज