महम्मदपुर : सुबह के आठ बजे हैं. बंजरिया गांव में हर तरफ बेचैनी है. संकट से बेपरवाह बच्चे उछल-कूद मचा रहे हैं. रामावती हाथों में पेटी लिये नाव को बुला रही है. बगल में रामनारायण के परिवार के लोग जिसको जो बन पड़ा है हाथ और माथे पर सामान लिये खड़े हैं. पूछने पर कहते हैं कि जहां ऊंची जगह मिली वहीं शरण ले लेगें.
यह नजारा है बंजरिया गांव का, जो पूरी तरह पानी से घिर चुका है. कल तक हंसती-खेलती और अपने काम में लीन जिंदगी आज ऊंचे स्थान पर शरण लेने के लिए बेचैन है. कहां जाना है, इसका ठिकाना नहीं है. सिर्फ ऊंची जगह चाहिए. पूर्वांचल के एक दर्जन तटवर्ती गांवों में पानी फैल चुका है. पांच हजार से अधिक की आबादी आफत में है. कई परिवारों के चूल्हे-चौके बंद हैं.