स्वतंत्रता सेनानी की विधवा बनी बेसहारा

टूटी हुई झोंपड़ी में गुजरती हैं रातें पंचदेवरी : क्या सचमुच हम उन वीर सपूतों को भूलते जा रहे हैं, जिन्होंने जंग-ए-आजादी में अपने लहू का एक-एक कतरा बहा दिया. जिन वीर सपूतों ने जेल की सलाखों के बीच अपनी जिंदगी गुजार दी उनकी दर्द भरी आह से मन बेचैन हो उठता है और यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2016 4:54 AM

टूटी हुई झोंपड़ी में गुजरती हैं रातें

पंचदेवरी : क्या सचमुच हम उन वीर सपूतों को भूलते जा रहे हैं, जिन्होंने जंग-ए-आजादी में अपने लहू का एक-एक कतरा बहा दिया. जिन वीर सपूतों ने जेल की सलाखों के बीच अपनी जिंदगी गुजार दी उनकी दर्द भरी आह से मन बेचैन हो उठता है और यह कलम की स्याही उगलने को मजबूर हो जाती है. क्या उनके परिजन स्वतंत्रता सेनानी को मिलनेवाली सुविधाओं के हकदार भी नहीं हैं. पंचदेवरी प्रखंड के भृंगीचक निवासी संसारी मिश्र आजादी की लड़ाई में अगरेजों की आंखों की किरकिरी बने रहे. कई बार जेल भी गये. आज उनको मरे हुए करीब 20 साल हो गये.
उनकी पत्नी सूरत देवी आज भी अंगरेजी हुकूमत के खौफ से उबर नहीं पायी हैं. उस जमाने की चर्चा होते ही उनकी आंखें छलक जाती हैं और भरी आंखों से आपबीती सुनाने लगती हैं. 90 वर्ष की उम्र में एक स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी बेसहारा बनी हुई है. वह कहती हैं कि आजादी के बाद जब तक मालिक जीवित थे, बड़े-बड़े नेता और साहब लोग हाल-चाल लेने पहुंचते थे. आज न तो नेताजी और न ही कोई साहब हाल-चाल लेने आते हैं. पेंशन के लिए नेताजी से लेकर साहब लोगों से फरियाद करती रही, लेकिन आज तक किसी ने नहीं सुनी. इकलौता बेटा वीरेंद्र पत्नी मधु और चार बेटियों के साथ टूटी हुई झोंपड़ी में रात गुजारने को विवश हैं.

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