पांच से छह घंटे मिल रही बिजली

परेशानी . शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली दे रही उपभोक्ताओं को दर्द बढ़ती व्यवस्था के साथ जिला में विद्युत आपूर्ति सिमट कर रह गयी है. कभी बिल का दर्द तो कभी बिजली गायब रहने का दर्द ने उपभोक्ताओं को परेशान कर दिया है. वर्तमान में विद्युत आपूर्ति आठ से दस घंटे तक सिमट कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2016 4:15 AM

परेशानी . शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली दे रही उपभोक्ताओं को दर्द

बढ़ती व्यवस्था के साथ जिला में विद्युत आपूर्ति सिमट कर रह गयी है. कभी बिल का दर्द तो कभी बिजली गायब रहने का दर्द ने उपभोक्ताओं को परेशान कर दिया है. वर्तमान में विद्युत आपूर्ति आठ से दस घंटे तक सिमट कर रह गयी है.
गोपालगंज : गरमी से कभी बिजली बीमार, कभी बिजली के बिल उपभोक्ता बीमार. न बिजली रानी को चैन और न उपभोक्ताओं को सुकून. आधुनिकता और विकास की इबारत लिखनेवाली विद्युत व्यवस्था न खुद लचर है, बल्कि लोगों के लिए दर्द बन गयी है. बिजली कब आयेगी, तार कब ठीक होगा, ट्रांसफाॅर्मर कब बदलेगा, सब कुछ ठीक तो वोल्टेज के लिए आफत.
यदि एक माह बिजली ठीक से मिल गयी, तो बड़ी बात होती है. शहर से लेकर गांव तक बिजली का दर्द बरकरार है. विद्युती करण का दावा और विद्युत व्यवस्था बहाल करने के बीच विकास का यह दौर उपभोक्ताओं के लिए दर्द बन गया है जिसे मिटाने के लिए चौबीसों घंटे लोग परेशान रहते हैं. इधर,तापमान बढ़ने के साथ बिजली के घंटे घट गये हैं. इन दिनों किसी दिन दस से बारह, तो किसी दिन पांच से छह घंटे बिजली मिल रही है. देहात क्षेत्र की बात ही कुछ अलग है.
पारा बढ़ा, तो घट गयी आपूर्ति
विगत एक सप्ताह से तापमान में बढ़ोतरी हुई है. तापमान बढ़ने के साथ ही बिजली के घंटे घट गये हैं. शनिवार और रविवार को शहर में बिजली गाायब रही. वहीं, सोमवार को पूर्वांचल कुप्रभावित हुआ.
नहीं मिटा बिल का दर्द
बिल सुधार के लिए प्रति माह कैंप लगाये जाते हैं. एक कैंप में अमूमन दो सौ लगभग बिल सुधार किये जाते हैं, तो माह में एक हजार से अधिक गलत बिल आते हैं जो उपभोक्ताओं के लिए दर्द बन गया है.
बिजली की उपलब्धता
दिन दिन रात
मंगलवार 8 घंटा 6घंटा
सोमवार 4 घंटा 1 घंटा
रविवार 1 घंटा 9घंटा
कुल प्राप्त बिजली –
दिन में 32 मेगावाट
रात में – 27 मेगावाट
प्रति माह बिजली की खपत – 8 करोड़
प्रति माह बिल वसूली – 5 करोड़

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