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नारायणी में समाया शिव मंदिर, मची अफरातफरी

त्रासदी . गंडक नदी का कटाव हुआ बेकाबू गंडक नदी का कटाव थमने की जगह बेकाबू होते जा रहा है. ऐतिहासिक शिव मंदिर नारायणी नदी में समा चुका है. अब स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र का भवन नदी के निशाने पर हैं. कालामटिहनिया : नारायणी नदी का कोप जारी है. विशंभरपुर में ऐतिहाशिक नर्वदेश्वर शिव मंदिर […]

त्रासदी . गंडक नदी का कटाव हुआ बेकाबू

गंडक नदी का कटाव थमने की जगह बेकाबू होते जा रहा है. ऐतिहासिक शिव मंदिर नारायणी नदी में समा चुका है. अब स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र का भवन नदी के निशाने पर हैं.
कालामटिहनिया : नारायणी नदी का कोप जारी है. विशंभरपुर में ऐतिहाशिक नर्वदेश्वर शिव मंदिर पांचवें दिन नारायणी नदी में समा गया. शिव मंदिर के नदी में समाने के बाद लोगों में दहशत का माहौल है. विशंभरपुर-सिपाया मुख्य पथ भी नदी में समा गया है. अब नदी का कटाव आंगनबाड़ी केंद्र संख्या- 138 पर तेज हो गया है. आसपास के लोग अपने घरों को तोड़ कर गांव को खाली कर चुके हैं. नदी का कटाव इसी तरह जारी रहा, तो अगले 24 घंटे में विशंभरपुर हाइस्कूल, +2 स्कूल भवन, मिडिल स्कूल के नदी में समा जाने की आशंका है.
फील्ड पर के गांव के लोग भी सहम गये हैं. मंदिर के आसपास रहनेवाले दो दर्जन घरों को तोड़ कर लोग फुटपाथ पर आ गये हैं. नदी हर पल आबादी की तरफ बढ़ती जा रही है. कटाव का खतरा तो फुलवरिया टोला पर भी मंडरा रहा है. फुलवरिया टोला से महज 200 मीटर पर नदी की धार बह रही है.
पांच दिनों से मंदिर पर हो रहा था कटाव
विशंभरपुर में ऐतिहासिक शिव मंदिर के ध्वस्त होने के बाद मलबा.
अब तक मिट चुका है इनका अस्तित्व
नारायणी नदी के कटाव से अब तक विशंभरपुर टोला, विशंभरपुर मौजे, विशंभरपुर तिवारी टोला, कालामटिहनिया के अहिरटोली, हजामटोली, धानुक टोली, बरइटोला, नोनिया टोला आदि गांवों के लगभग पांच सौ परिवार बेघर हो चुके हैं. नवंबर में कटाव होना बाढ़ विशेषज्ञों के समझ से परे है. बाढ़ विशेषज्ञ अधीक्षण अभियंता मुरलीधर सिंह की मानें, तो नदी का कटाव समझ से ऊपर हो गया है. विभाग भी यह मान रहा है कि प्रकृति को रोक पाना मुश्किल है. यहां कटाव को रोकने के लिए विभाग ने भी 30 सितंबर तक प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली है. गंडक नदी के कटाव से बेघर हुए पीड़ित परिजन प्रशासन के प्रति उम्मीद की नजर लगाये हुए हैं. कालामटिहनिया पंचायत की मुखिया सायरा खातून तथा सामाजिक कार्यकर्ता असगर अली की मानें, तो डीएम राहुल कुमार जब बाढ़ की स्थिति का मुआयना करने पहुंचे थे, तो उन्होंने पीड़ितों को बसाने के लिए जमीन उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया था. अब पीड़ित प्रशासन से उम्मीद लगाये दिन गिन रहे हैं कि उन्हें कब पुनर्वास के लिए व्यवस्था होगी.
कराया जायेगा पुनर्वास
कटावपीड़ितों के पुनर्वास के लिए जमीन का चयन किया जा रहा है. जल्द ही जमीन का चयन कर उनको बसाने की व्यवस्था की जायेगी.
अमित रंजन, सीओ, कुचायकोट

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