निशाने पर अब भगत टोला त्रासदी गंडक नदी का कहर जारी, बेकाबू होते जा रहा कटाव

गंडक नदी तेजी से तबाही कर रही है. नदी ऐतिहासिक बुझावन भगत की हवेली को उजाड़ने पर तुली हुई है. नदी का कटाव बेकाबू होने से लोगों की होश उड़े हुए हैं. कालामटिहनिया : गंडक नदी के कटाव ने अब भगत टोला को निशाना बनाया है. वार्ड- 12 यानी अंगरेजों के जमाने से सारण प्रमंडल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2016 6:01 AM

गंडक नदी तेजी से तबाही कर रही है. नदी ऐतिहासिक बुझावन भगत की हवेली को उजाड़ने पर तुली हुई है. नदी का कटाव बेकाबू होने से लोगों की होश उड़े हुए हैं.

कालामटिहनिया : गंडक नदी के कटाव ने अब भगत टोला को निशाना बनाया है. वार्ड- 12 यानी अंगरेजों के जमाने से सारण प्रमंडल का पहला जमींदार बुझावन भगत की ऐतिहासिक हवेली पर नदी का कटाव तेज हो गया है. यह हवेली दियारे की लिए धरोहर मानी जाती है. शिव मंदिर के कटने के बाद नदी का कटाव और उग्र हो गया है. कटाव इसी तरह जारी रहा, तो भगत टोला के लगभग 130 परिवार बेघर हो जायेंगे, जबकि नदी का कटाव +2 हाइस्कूल, मध्य विद्यालय तक पहुंच गया है.
पिछले चार दिनों से आंगनबाड़ी केंद्र पर कटाव कर रही नदी ने अब आंगनबाड़ी केंद्र को छोड़ दिया है. सरकारी भवनों पर कटाव पहुंचने के बाद भी कटाव को रोकने के लिए मुकम्मल इंतजाम नहीं किया गया है. मुखिया सायरा खातून ने बताया कि वार्ड नं-12 में कटाव शुरू होने से पूरे गांव में अफरातफरी मच गयी है. नदी आबादी की तरफ बढ़ रही है.
रहने को घर नहीं, सोने को बिस्तर नहीं : नदी के कटाव के बाद बेघर हुए पीड़ित परिजन खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं. नदी की तबाही क्या होती है इन पर बीत रही है. कल तक ये लोग इलाके के जमींदार कहे जाते थे, आज इनकी हालत है कि सड़क के किनारे, स्कूल के कैंपस में, खुले में खाना और सोना हो गया है. न तो रहने के लिए घर है और न ही सोने के लिए बिस्तर. खुदा ही इनका रखवाला है.
ऐतिहासिक बुझावन भगत की हवेली पर पहुंची नदी
कटाव ने बिगाड़ा रिश्ता
नदी के कटाव ने रिश्ते को भी बिगाड़ दिया है. विशंभरपुर की ज्ञांति देवी के पति गुजरात में एक फैक्टरी में काम करते हैं. छोटे-छोटे बच्चों और बूढ़ी सास को लेकर ज्ञांति गांव में रहती है. नदी के कटाव में इनका भी घर उजड़ गया. जब तक घर-द्वार था तब तक इनका भी अपना रुतवा था. आज जब ये फुटपाथ पर आ गये, तो रिश्तेदारों ने भी इनसे मुंह मोड़ लिया है. आज इस बात का मलाल है कि अपने भी नहीं पूछ रहे हैं. यह सिर्फ ज्ञांति की ही पीड़ा नहीं है, बल्कि कई परिवारों का रिश्ता बिगड़ रहा है.

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