शहर में खून से लाल हो रही काली सड़क

हर आठ घंटे पर एक घायल और दो दिन पर एक की मौत हादसे रोकने का नहीं है कोई सिस्टम गोपालगंज : भूटेली आज भी सड़क को देख कर सिहर जाते हैं. ठीक डेढ़ साल पहले इनका इकलौता बेटा स्कूल जाते समय सड़क हादसे का शिकार हो गया और इनकी दुनिया उजड़ गयी. पति-पत्नी विक्षिप्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2016 4:42 AM

हर आठ घंटे पर एक घायल और दो दिन पर एक की मौत

हादसे रोकने का नहीं है कोई सिस्टम
गोपालगंज : भूटेली आज भी सड़क को देख कर सिहर जाते हैं. ठीक डेढ़ साल पहले इनका इकलौता बेटा स्कूल जाते समय सड़क हादसे का शिकार हो गया और इनकी दुनिया उजड़ गयी. पति-पत्नी विक्षिप्त हो गये हैं. इस साल 14 सितंबर को बरौली के जाफरटोला के हरेकृष्ण सिंह और कृपा सिंह के 22 और 24 वर्षीय बेटे क्रमश: सुधीर और देवेंद्र की मौत देवापुर में हो गयी. आज भी इनका परिवार बिलख रहा है. यह तो महज एक बानगी है, जिले के पांच हजार से अधिक परिवार सड़क हादसे से मिलनेवाले दर्द के शिकार हैं. कहने के लिए समय तो हर जख्म को भर देता है, लेकिन कुछ दर्द ऐसे हैं जो ताउम्र बरकरार रहते हैं.
सड़क हादसों में होनेवाली मौतें भी कुछ ऐसी हीं दर्द हैं जिनकी त्रासदी से जूझनेवाले परिवार ताउम्र इससे सराबोर होते हैं. शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब जिले के किसी इलाके की काली सड़क खून से लाल न होती हो. अस्पतालों की इमरजेंसी में खून से लथपथ दर्जनों लोग पहुंचते हैं. इनमें कुछ ही खुश किस्मत होते हैं, जो चंद घंटे में घर पहुंच जाते हैं, वरना अधिकतर लंबे समय तक अस्पताल में दर्द झेलते हैं. कई ऐसे भी बदनसीब हैं जिनकी दुनिया अस्पताल में ही खत्म हो जाती है. आंकड़े की बात करें, तो हर दो घंटे में कोई-न-कोई घायल होता है और हर दो दिन पर एक व्यक्ति की मौत हो जाती है. घायलों की गिनती तो मुश्किल है, लेकिन प्रत्येक दिन औसतन घायलों की संख्या एक दर्जन होती है.
मौत का पर्याय बन चुकी जिले की सड़कों पर कोहरे से खतरे में और इजाफा हुआ है. जब-जब कुहासा पड़ रहा है, अब तक पांच दर्जन से अधिक गाड़ियां टकरा चुकी हैं. भगवान का शुक्र है कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है. ऐसी घटनाओं से निबटने के लिए परिवहन विभाग की तरफ से न कभी कोई तैयारी की गयी और न इस बार ही तैयारी है.

Next Article

Exit mobile version