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गोपालगंज में बैंकों ने शुरू कर दिया कैशलेस कारोबार, ग्राहकों को दे रहे डिजिटल भुगतान का सुझाव

गोपालगंज : कैश लेस कारोबार की ओर बैंकों ने मुहिम शुरू कर दी है. डिजिटल भुगतान से बैंकों में लोगों की भीड़ कम होने से यह खर्च घट कर आधे से भी कम हो जायेगा. बैंक स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं. ऐसे में डिजिटल भुगतान से मैन पावर की कमी नहीं रहेगी. न […]

गोपालगंज : कैश लेस कारोबार की ओर बैंकों ने मुहिम शुरू कर दी है. डिजिटल भुगतान से बैंकों में लोगों की भीड़ कम होने से यह खर्च घट कर आधे से भी कम हो जायेगा. बैंक स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं. ऐसे में डिजिटल भुगतान से मैन पावर की कमी नहीं रहेगी. न ही कैश के लिए बैंक में धक्का खाने की जरूरत. सब कुछ कैश लेस कारोबार से संभव है. उक्त बातें वसुधा केंद्र एवं वीएलइ प्रतिनिधियों की कार्यशाला को संबोधित करते हुए लीड बैंक के प्रबंधक अनिल कुमार ने कहीं. उन्होंने कहा कि ग्रामीण और व्यापारी वर्ग को कैश लेस काम कैसे लिया जायेगा.
इसकी जानकारी दिया गांवों में जाकर दिया जायेगा. कैश लेकर कहीं भी खरीदारी करने जाने में कैश के गुम होने या छीने जाने का भय बना रहता है. ग्राहक अपने एटीएम कार्ड, रुपेकार्ड, क्रेडिट कार्ड, केसीसी कार्ड से दुकानों में खरीदारी कर सकते हैं. बशर्तें की कारोबारी को भी पॉश मशीन लगानी होगी. दूसरा विकल्प है कि बड़ी खरीदारी को चेक से किया जाये. दुकानदार को भी कैश रखने, उसको बैंक में जमा करने, या बैंक से लेने की कोई टेंशन नहीं होगी. इतना ही नहीं इंटरनेट बैंकिंग के जरिये कारोबारी भी अपने कंपनी या एजेंसी को कैश ट्रांसफर कर सकते हैं.
बैंकों को रुपेकार्ड देने का आदेश
बैंकों को तत्काल प्रभाव से रुपेकार्ड एक-एक ग्राहकों को देने का आदेश लीड बैंक के द्वारा दिया गया है. वैसे ग्राहक को एटीएम या डेबिड कार्ड नहीं लिये हैं. उनको डेबिड कार्ड, एटीएम कार्ड, रुपेकार्ड आदि उपलब्ध कराया जाये. साथ ही उन्हें कोड और चेकबुक भी उपलब्ध कराया जाये ताकि ग्राहक को परेशानी न हो. खास कर जन धन खाते में एटीएम कार्ड को तत्काल अलर्ट करने का निर्देश दिया गया है.
बैंक खाते को अगर आधार से लिंक नहीं कराये है तो तुरंत करा ले. बैंक खाता में आधार और मोबाइल नंबर का रजिस्ट्रेशन जरूरी है ताकि एक -एक ट्रांजेंक्शन की जानकारी ग्राहक तक पहुंच सके. इसके लिए बैंक अधिकारियों को अभियान चला कर ग्राहकों का खाता लिंक कराने के लिए निर्देश दिये गये हैं. नोटबंदी के बाद स्थिति को संभालने के लिए वित्त विभाग के निर्देश पर गांव में भी अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है.
नोट पर भूल कर भी मत लिखना
नोट पर लिखने का चलन पुराना है. कुछ लोग नोट पर अपना नाम के अलावा जाने क्या- क्या लिख देते हैं. इस मामले में बैंक कर्मचारी भी पीछे नहीं रहते. कैशियर काम के दौरान गड्डी पर नोट की संख्या लिखते रहते हैं, जिसके चलते नोट के एक हिस्से पर खूब लिखाई होती है.
लेकिन नये आये नोटों पर लिखने के लिए मनाही की गयी है. इसके लिए आरबीआइ ने गाइड लाइन जारी कर दी है. हालांकि लिखने पर नोट के चलन से बाहर होने या किसी अन्य प्रकार की कटौती के बारे में अभी कोई निर्देश नहीं दिये गये हैं लेकिन नोट पर लिखने के लिए सख्त तौर पर मनाही की गयी है. लीड बैंक के प्रबंधक अनिल कुमार ने बताया कि नोट पर लिखने के लिए आरबीआइ की ओर से मनाही है लेकिन इस पर होनेवाली कार्रवाई के बारे में अभी निर्देश आना बाकी है.
नोटबंदी ने लोगों को दिया अचानक झटका
नोटबंदी ने लोगों को अचानक से झटका दिया था. जिन लोगों के पास घरों में कैश रखा हुआ था, उन्होंने उसे ठिकाने लगाने के लिए तरह- तरह के हथकंडे अपनाये. लोन लेनेवालों ने भी अपना कर्जा चुकाने के बहाने पैसा बैंकों में पुराने नोट जमा किये. नवंबर में तो ये खूब चला. 30 दिनों में बैंकों की रिकवरी खूब हुई. काले धन को ठिकाने लगाने के लिए लोगों ने दूसरों के खातों में भी खूब पैसा जमा कराया. कुछ लोगों ने दूसरों के खातों में जमा करने के बजाय अपने लोन की किस्त चुकाने के बहाने पैसा जमा कर दिया.
इतना ही नहीं उन्होंने दूसरों से भी रुपया लेकर लोन चुका दिया. इससे उन्हें कई फायदे हुए एक तो लोन चुकता हुआ दूसरा आयकर विभाग से बचने का रास्ता मिल गया और दूसरों का पैसा अपने खाते में जमा करने पर कमीशन अलग से मिला. नवंबर में बैंकों की होनेवाले रिकवरी गत महीनों की तुलना में 20 फीसदी तक बढ़ गयी थी. कारण ये था कि किस्त से अलग भी लोगों ने लोन चुकाया. कुछ ने लोन फाइनल कर दिया. उधर सरकार ने लोन इंस्टालमेंट चुकाने के लिए कैश की कमी को देखते हुए समय सीमा में छूट भी दी है.

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