मरने के बाद भी देखेंगे नैना के ‘नयन’

पटना से आयी डॉक्टरों की टीम ले गयीं आंखें सिधवलिया/गोपालगंज : मंगलवार सुबह की आठ बजे हैं. बुधसी गांव के शिवजी सिंह के दरवाजे पर लोगों की भीड़ है. कोई कह रहा है कि नैना देवी मर कर भी अमर हो गयी, तो कोई कह रहा है कि नैना के ‘नयन’ मर कर भी दुनिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2016 4:38 AM

पटना से आयी डॉक्टरों की टीम ले गयीं आंखें

सिधवलिया/गोपालगंज : मंगलवार सुबह की आठ बजे हैं. बुधसी गांव के शिवजी सिंह के दरवाजे पर लोगों की भीड़ है. कोई कह रहा है कि नैना देवी मर कर भी अमर हो गयी, तो कोई कह रहा है कि नैना के ‘नयन’ मर कर भी दुनिया देखेगी. सोमवार की शाम 80 वर्षीया नैना देवी की मौत हो गयी. उसके कथनानुसार परिजनों ने पटना खबर करके नेत्र डॉक्टरों को बुलवाया और नैना देवी का नेत्र दान कर दिये. नैना देवी ने मृत्यु से पूर्व अपनी इच्छा जतायी थी. उसके संकल्प से ग्रामीण अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे. जिले में नेत्रदान के इतिहास पर नजर दौड़ायी जाये, तो यह पहली घटना है जब नेत्रदान करने के बाद डाॅक्टरों की टीम पहुंच कर आंख नेत्र बैंक ले गयी हो. गोपालगंज के इतिहास में यह मिसाल कायम करने का काम किया है मृत नैना देवी ने.
आंख लेने पटना से पहुंची डॉक्टरों की टीम.
नैना ने किया था नेत्रदान
आइजीएमएस, पटना से आयी डाॅक्टरों की टीम दोनों आंखें निकाल कर ले गयी. अब नैना की आंखें किसी जरूरतमंद को काम आयेंगी. सिधवलिया थाने के बुधसी गांव के शिवजी सिंह की माता नैना देवी मरने से पूर्व परिजनों से नेत्रदान की इच्छा जतायी थी. सोमवार की आधी रात उसकी मौत हो गयी. परिजनों ने इसकी सूचना आइजीएमएस को दी. वहां से डाॅ सुमित कुमार, डाॅ सुधाकर और अमित सोनी की टीम मंगलवार की सुबह बुधसी पहुंची, जहां परिजनों की उपस्थिति में चिकित्सीय पद्धति से मृत नैना देवी की आंखें निकाली गयी.
आप भी कर सकते हैं
आपका नेत्रदान किसी अंधे के जिंदगी में उजाला ला सकता है. संसार में इससे बड़ा कोई दान नहीं है. यदि आप दान करना चाहते हैं, तो अपना नेत्रदान अवश्य करें. आपको नुकसान नहीं होगा, बल्कि मरने के बाद भी आपकी आंखें दुनिया देखती रहेंगी. मरने के बाद भी व्यक्ति की आंख पांच से छह घंटे तक जीवित रहती है. नेत्रदान किये हुए व्यक्ति की आंख मरने के बाद इस अवधि के भीतर एक्सपर्ट डाॅक्टर निकाल लेते हैं तथा उसे आयी बैंक में रखा जाता है, जो आवश्यकतानुसार अंधे व्यक्ति में लगाया जाता है.

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