प्रसूता की मौत के बाद आक्रोशित परिजनों का अस्पताल में हंगामा
सिधवलिया थाना क्षेत्र के एक जच्चे की मौत हो जाने से परिजन आक्रोशित हो गये तथा अस्पताल परिसर में शव रखकर हंगामा करने लगे. हालांकि मौके पर पहुंचे थानाध्यक्ष संदीप कुमार, सिपाही छोटन मिश्र, आफताब आलम, सलमान खान आदि के समझाने पर परिजनों का आक्रोश कम हुआ तथा रात के करीब 12 बजे अपने घर कल्याणपुर मधुबनी गये.
बरौली. सिधवलिया थाना क्षेत्र के एक जच्चे की मौत हो जाने से परिजन आक्रोशित हो गये तथा अस्पताल परिसर में शव रखकर हंगामा करने लगे. हालांकि मौके पर पहुंचे थानाध्यक्ष संदीप कुमार, सिपाही छोटन मिश्र, आफताब आलम, सलमान खान आदि के समझाने पर परिजनों का आक्रोश कम हुआ तथा रात के करीब 12 बजे अपने घर कल्याणपुर मधुबनी गये. मिली जानकारी के अनुसार सिधवलिया थाना क्षेत्र के मधुबनी गांव के नाजिर आलम की 30 वर्षीया पत्नी रोजी खातून को प्रसव के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में करीब 10 बजे दिन में भर्ती कराया गया था. करीब छह बजे तक प्रसव नहीं हुआ और जच्चे की हालत बिगड़ने लगी, तो अफरातफरी में उसे सदर अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया. सदर अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने रोजी खातून को मृत घोषित कर दिया. रोजी खातून के परिजन रोजी के शव काे लेकर वापस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे तथा हंगामा करने लगे. परिजनों का कहना था कि अस्पताल की लापरवाही के कारण रोजी खातून की मौत हुई है, मौत का हर्जाना देने के साथ परिजन दोषियों पर कार्रवाई की मांग भी कर रहे थे. थानाध्यक्ष द्वारा कार्रवाई का आश्वासन देने के बाद परिजन शव को आधी रात के बाद घर ले गये. इस बीच अस्पताल कर्मी अपनी-अपनी जगह से गायब रहे. रोजी की मौत के बाद जब परिजन सदर अस्पताल से शव लेकर पीएचसी बरौली पहुंचे, तो उनका आरोप था कि एएनएम नीतू कुमारी अपने साथ दो-तीन ममता तथा सफाईकर्मी के साथ जच्चे की देखभाल कर रही थी और उनकी लापरवाही से ही रोजी की मौत हुई है. ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर को रोजी के भर्ती होने की जानकारी नहीं दी गयी थी और डॉक्टर देखने भी नहीं आये. उनका ये भी आरोप था कि रोजी की मौत को उनसे छिपाया गया और आनन-फानन में रेफर का कागज बना कर जबरन शव को एंबुलेंस में डालकर सदर अस्पताल भेज दिया गया. रोजी की मौत के बाद करीब 9:30 बजे परिजन शव को लेकर अस्पताल पहुंचे और हंगामा करने लगे. उनके हंगामा करने से अधिकतर स्वास्थ्यकर्मी अपनी ड्यूटी वाली जगह छोड़कर गायब हो गये. उनको संदेह था कि बात बढ़ेगी, लेकिन पुलिस ने मामले को संभाल लिया और शव के साथ परिजनों को वापस भेजा. इस बीच जो भी मरीज अस्पताल में आ रहे थे, वे दूसरे डॉक्टर के यहां जा रहे थे या सदर अस्पताल चले जा रहे थे. अस्पताल में भर्ती मरीजों की देखरेख करने वाला कोई नहीं था और मरीज तथा परिजन सभी परेशान थे.
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