भोरे. भोरे में गरीबों को खाने के लिए सड़ा हुआ अनाज भेजा जा रहा है. अनाज भी ऐसा कि इंसान तो इंसान जानवर भी खाना पसंद नहीं करे. चावल से बदबू आ रही है. भोरे प्रखंड के लामीचौर में गरीबों को खाने के लिए भेजे गये सड़े हुए चावल को देख कर डीलर ने चावल लेने से इंकार कर दिया. इसके बाद उच्च अधिकारियों के पास मामला गया. मामले की जांच शुरू हो गयी. डीडीसी अभिषेक रंजन ने सड़े हुए चावल को गंभीरता से लिया है. डीडीसी ने हथुआ एसडीओ को तत्काल मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी. उधर, एसएफसी के जिला प्रबंधक कुमार कुंदन को भी डीडीसी ने फोन कर स्थिति से अवगत कराया. एसएफसी के जिला प्रबंधक ने बताया कि अनाज सड़ा नहीं है. उधर, भोरे में स्थित एसएफसी गोदाम से अक्सर डीलरों को सड़ा हुआ चावल आपूर्ति करने का आरोप लगता रहा है. कई बार डीलरों ने इस चावल को लेकर गोदाम पर भी हंगामा किया है. भोरे गोदाम से करोड़ों के अनाज गायब है. बता दें कि भोरे स्थित एसएफसी गोदाम में 46 लाख का चावल गायब हो गया था. जिसे बाद में सड़ा हुआ बता दिया गया था. हालांकि इसकी जांच अभी चल रही है. दूसरी तरफ डीलरों को जो चावल की आपूर्ति की जाती है. उसमें आरोप है कि ऐसा चावल दिया जाता है, जिसे इंसान तो क्या जानवर तक खाना पसंद नहीं करें. प्रखंड की लामीचौर में स्थित जन वितरण प्रणाली के दुकानदार भारत पांडेय की दुकान पर तीन ट्रकों में भरकर चावल भेजा गया था. चावल को जब उनके गोदाम में उतारा गया, तो पूरा चावल सड़ा हुआ निकला. इसे लेकर उनके द्वारा इस पर आपत्ति जतायी गयी. साथ ही इसकी पूरी जानकारी अनुमंडल आपूर्ति पदाधिकारी के साथ-साथ प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी को भी दी गयी. चावल की तस्वीर सामने आने के बाद प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी ने डीलर को चावल लेने से मना कर दिया. इसके बाद भारत पांडेय ने भी उस चावल को वापस कर दिया. वहीं जिस बोरी की आपूर्ति डीलरों को की गयी है. उनकी सिलाई दो बार की गयी है. लाल और ब्लू रंग के अलग-अलग धागों से दो बार सिला गया है, जो देखने से लगता है कि बोरी में चावल भरकर दूसरी बार उसे सिला गया है. वही उस बोरे पर किसी भी राइस मिल का टैग नहीं लगा है. इससे यह पता चल सके कि इस चावल को तैयार करने वाली कौन-सी राइस मिल है.
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