Bihar News: बिहार कृषि विवि 15 साल तक सहेज कर रखेगा 115 किस्म के बीज, अब किसानों की परेशानी होगी दूर
Bihar News: बिहार कृषि विवि सबौर ने कतरनी, मालभोग, कनकजीरा, श्याम जीरा, कैसोर, पालम अरहर सहित 115 किस्म के बीज को सहेज कर रखेगा.
Bihar News: भागलपुर. सूबे में हर साल बाढ़ के कारण हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो जाती है. ऐसे में धान के कई ऐसे प्रभेद हैं जो विलुप्त होते जा रहे हैं. किसानों के समक्ष धान सहित गेहूं, दलहन व तिलहन के उन्नत किस्म के बीज मिलने में काफी परेशानी होती है. आने वाले समय में सूबे के किसी भी जिले के किसानों को कृषि संबंधी बीज की उपलब्धता के लिए परेशानी नहीं होगी.
बिहार कृषि विवि सबौर द्वारा सूबे का पहला जर्म प्लाज्म रिपॉजिटरी तैयार किया गया है. जिसमें धान, गेहूं, दलहन व तिलहन के लुप्त प्राय लगभग 115 प्रभेद के बीज को संरक्षित कर उसे किसानों तक आने वाले कुछ दिनों में उपलब्ध करायेगी. इसके लिये छोटे-छोटे पॉकेट जिसमें 50 से सौ ग्राम बीच पैक कर रिपॉजिटरी में रखा जा रहा है. इस रिपॉजिटरी का उद्घाटन जल्द ही किया जायेगा. अभी तक इस तरह का काम सूबे के किसी भी विवि ने नहीं किया है. कुलपति के निर्देशन में बिहार कृषि विवि सबौर के वैज्ञानिकों ने यह काम कर दिखाया है.
रिपॉजिटरी में 15 से 20 साल तक बीजों को सुरक्षित रखा जा सकेगा
रिपॉजिटरी में बीज के कई प्रभेद रखे गये हैं. बीज के सौ से अधिक पैकेट को शून्य डिग्री मापमान में रखा जाता है. जबकि, कुछ को पांच से 10 डिग्री तापमान में रखा जाता है. सबसे बड़ी बात है कि अभी के समय में किसान किसी भी कृषि बीज जैसे धान, गेंहू आदि को दो साल से ज्यादा नहीं रख पाते हैं. अब तो इस रिपॉजिटरी में दो नहीं 15 से 20 साल तक बीजों को सुरक्षित रखा जा सकेगा. ताकि जरूरत पड़ने पर इसे किसानों को बीज तैयार कर उपलब्ध कराया जा सके.
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50 ग्राम से खेत में 10 किलो धान का बीज तैयार होगा
विवि के पौध प्रजनन विभाग के वैज्ञानिक सह रिपॉजिटरी इंचार्ज मंकेश कुमार ने कहा कि इसमें 115 प्रभेद के धान, गेंहू, दलहन व तेलहन के बीजों को बचाया जायेगा. रिपॉजिटरी में रखे 50 ग्राम बीज से 10 किलो धान के पौधे तैयार होंगे.
सूबे में हर साल बाढ़ के कारण हजारों एकड़ में किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है. धान के कई ऐसे प्रभेद हैं जो विलुप्त होते जा रहे हैं. किसानों के समक्ष धान, गेहूं, दलहन व तिलहन के उन्नत किस्म के बीज मिलने में काफी परेशानी होती है. आने वाले समय में सूबे के किसी भी जिले के किसानों को इस तरह की परेशानी नहीं होगी. बिहार कृषि विवि सबौर द्वारा सूबे का पहला जर्म प्लाज्म रिपॉजिटरी तैयार कर लिया गया है. जल्द ही उद्घाटन किया जायेगा. – डॉ डीआर सिंह, कुलपति, बिहार कृषि विवि, सबौर